पुणे न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है, जहाँ छांगुर बाबा नाम से चर्चित व्यक्ति और उसके साथियों ने विदेशी फंडिंग के दम पर एक बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट खड़ा कर दिया। सबसे हैरानी की बात ये है कि इस पूरे नेटवर्क को चलाने वाले तीनों मुख्य आरोपी—जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन, और नीतू रोहरा उर्फ नसरीन—सिर्फ सातवीं पास हैं। कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद इन्होंने करोड़ों की विदेशी फंडिंग का जाल बिछा लिया, जिसे अब एटीएस और एसटीएफ की टीमें खंगाल रही हैं।
बताया जा रहा है कि बलरामपुर के उतरौला कस्बे को इन लोगों ने अपना ऑपरेशन बेस बना लिया था। इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटी इस जगह से धर्मांतरण का एक सघन नेटवर्क तैयार हुआ, जिसमें देश और विदेश से आए पैसे से पुणे से लेकर बलरामपुर तक प्रॉपर्टी खरीदी गई। पासपोर्ट डिटेल्स से सामने आया है कि इन आरोपियों की शैक्षणिक योग्यता बेहद सीमित है, फिर भी इन्होंने इतनी जटिल और योजनाबद्ध तरीके से फंडिंग व धर्मांतरण का पूरा सिस्टम खड़ा कर लिया।
एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा आखिरी बार 2018 में दुबई गया था, लेकिन अब तक उसका पासपोर्ट बरामद नहीं हुआ है। वहीं, रोहरा दंपत्ति की नाबालिग बेटी, जिसने धर्म परिवर्तन कर ‘सबीहा’ नाम लिया, वह भी सिर्फ सातवीं तक पढ़ी है। इससे यह सवाल और गहरा हो गया है कि इतने सीमित संसाधनों और शिक्षा के बावजूद इन्होंने किसके सहयोग से यह नेटवर्क फैलाया?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन लोगों को विदेशों से इतना पैसा किस माध्यम से और कैसे मिल रहा था? कहीं यह मामला किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से तो नहीं जुड़ा हुआ? जांच एजेंसियों के लिए अब यह एक गंभीर चुनौती बन गया है, और इस सिंडिकेट की जड़ें राज्य के कई जिलों और नेपाल सीमा तक फैली होने की बात कही जा रही है।