पुणे न्यूज डेस्क: पुणे शहर में आवारा कुत्तों की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में यह खुलासा किया कि 2022 से अब तक 65,000 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा है। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और शहरी इलाकों में इस संकट की गहराई को दर्शाता है। उद्योग मंत्री उदय सामंत ने ये जानकारी विधान परिषद में दी, जहां वे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से बोल रहे थे।
भाजपा के विधान परिषद सदस्य अमित गोरखे ने इस मुद्दे को उठाया, खासकर पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ जैसे शहरी क्षेत्रों में। मंत्री सामंत ने बताया कि 2022 में 16,569, 2023 में 22,945 और 2024 में अब तक 25,899 मामले दर्ज हुए हैं। इसका मतलब है कि साल दर साल ये घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल बनता जा रहा है।
इस बीच सरकार ने भी समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2023-24 में 57,852 और 2024-25 में 56,511 कुत्तों का बंध्याकरण किया गया। हालांकि, मंत्री ने यह भी माना कि यह संकट केवल शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों तक फैल चुका है। इस पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार के कानून, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और नियमों का पालन जरूरी बताया गया है।
राकांपा नेता इदरीस नाइकवाड़ी ने इस अभियान की निगरानी पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि बंध्याकरण के बाद कुत्तों पर टैग लगाए जाएं ताकि यह पता चल सके कि किस कुत्ते को पहले ही बंध्याकरण किया जा चुका है। इससे पारदर्शिता भी बढ़ेगी और दोहराव से बचा जा सकेगा।