पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के मावल तहसील में रविवार दोपहर एक बड़ा हादसा हुआ, जब इंद्रायणी नदी पर बना 32 साल पुराना लोहे का पैदल पुल अचानक गिर गया। बताया गया है कि हादसे में चार लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि इस पुल को पहले से ही असुरक्षित घोषित कर दिया गया था और वहां चेतावनी बोर्ड भी लगे थे, जिन्हें लोगों ने नजरअंदाज कर दिया। पर्यटकों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि पुल अचानक टूटकर नदी में समा गया।
हादसे के वक्त पुल पर 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, जो पिकनिक मनाने और घूमने आए थे। एक घायल शख्स ने बताया कि दोनों तरफ से लोगों की आवाजाही के कारण पुल पर काफी भीड़ लग गई थी, जिससे वह हिलने लगा और कुछ ही पलों में टूटकर गिर पड़ा। कुछ लोग बह गए, तो कुछ पत्थरों पर गिरकर घायल हो गए। एक अन्य घायल, सुनील कुमार ने बताया, "जब मैं पुल पर था, तो मुझे लगा कि यह हिल रहा है। मैंने अपनी बहन को कुछ कहने ही वाला था कि पुल टूट गया। मुझे फ्रैक्चर हुआ है, लेकिन इलाज ठीक से मिल रहा है।"
एक और घायल व्यक्ति, बादल, ने बताया कि घटना के 15 मिनट के भीतर पुलिस और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई थी। उन्होंने कहा, "मेरे पैर और पीठ में चोट लगी है। हादसा इसलिए हुआ क्योंकि एक ही जगह बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गए थे।" हालांकि, एनडीआरएफ ने अब अपना सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया है क्योंकि जिला प्रशासन के मुताबिक सभी लापता लोगों की पहचान कर ली गई है। सोमवार को पुलिस ने घटनास्थल पर तलाशी अभियान जारी रखा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी हादसे पर बयान दिया है। उन्होंने बताया कि पुल को पहले ही जिला प्रशासन द्वारा खतरनाक घोषित कर दिया गया था और वहां चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए थे। फडणवीस ने कहा कि उस स्थान पर नया पुल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है और ठेका पहले ही दे दिया गया था। ये घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि जब चेतावनियाँ पहले से थीं, तो लोगों ने उन्हें क्यों नजरअंदाज किया — और क्या प्रशासन की सख्ती और निगरानी में कहीं चूक रह गई?