पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में बाढ़ की बढ़ती आशंका को देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार अगले चार महीनों के अंदर शहर की बाढ़रेखा (फ्लडलाइन) को लेकर अंतिम फैसला ले। दरअसल, 2017 की विकास योजना में जो फ्लडलाइन तय की गई थी, वह काफी पुरानी और गलत मानी जा रही है। इसी को लेकर शहर के नागरिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
जनहित याचिका सरंग यादवडकर, विवेक वेलणकर और विजय कुंभार ने 2021 में दायर की थी। इसमें कहा गया कि गलत फ्लडलाइन की वजह से शहर को बड़ा खतरा है और बाढ़रेखा से 100 मीटर के अंदर किसी भी तरह की निर्माण अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। याचिका में यह मांग भी की गई थी कि मौजूदा स्थिति का वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर फिर से मूल्यांकन होना चाहिए।
कोर्ट ने पहले राज्य सरकार को विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया था, जिसकी अध्यक्षता जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को सौंपी गई थी। लेकिन समिति ने न तो कोई बैठक की और न ही रिपोर्ट दी। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को इस निष्क्रियता के बारे में बताया और कोर्ट में एक अंतरिम आवेदन दाखिल किया।
अब कोर्ट ने साफ आदेश दिया है कि समिति 30 जून से दो महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपे और सरकार अगले दो महीने में उस पर जरूरी कार्रवाई करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद याचिकाकर्ता अतिरिक्त सुझाव भी दे सकते हैं। एक्टिविस्ट्स का कहना है कि अगर वैज्ञानिक तरीके से फ्लडलाइन तय नहीं की गई तो पुणे को बाढ़ जैसे हालातों से बार-बार जूझना पड़ेगा।