पुणे न्यूज डेस्क: विधानसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही लाड़की बहिन योजना के तहत लंबित आवेदनों की जांच शुरू कर दी गई है। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पुणे जिले में इस योजना के तहत 20 लाख 84 हजार आवेदकों को लाभ मिला है। वहीं, करीब 10 हजार महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने आवेदन किया था, लेकिन वे पात्र नहीं हो पाईं।
पुणे जिले से 15 अक्टूबर तक 21 लाख 11 हजार 363 आवेदन स्वीकार किए गए थे। हालांकि, अभी भी 12 हजार आवेदनों की जांच बाकी है। अब तक 9 हजार 814 आवेदन त्रुटियों के कारण अयोग्य घोषित किए गए हैं, जबकि 5 हजार 814 आवेदन मामूली त्रुटियों के चलते अस्थायी रूप से खारिज कर दिए गए हैं।
पुणे शहर में कुल 6 लाख 82 हजार 55 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 6 लाख 67 हजार 40 आवेदन स्वीकृत किए गए। हालांकि, इनमें से 3 हजार 494 आवेदन अयोग्य घोषित किए गए। जिले के हवेली तालुका में सबसे ज्यादा 4 लाख 19 हजार 859 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 4 लाख 15 हजार 510 आवेदन स्वीकृत किए गए। इसमें से 1 हजार 166 आवेदन अयोग्य घोषित किए गए।
पुणे जिले में कुल 21 लाख 11 हजार 946 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 20 लाख 84 हजार 364 आवेदन स्वीकृत किए गए, जबकि 9 हजार 814 आवेदन अपात्र कर दिए गए। यह आंकड़े योजना की सफलता को दर्शाते हैं, लेकिन साथ ही उन महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन गए हैं जो पात्र नहीं हो पाईं।
इस योजना का प्रभाव महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति के पक्ष में देखने को मिला। इस योजना ने बड़ी संख्या में महिलाओं को लाभ पहुंचाया, जिनकी वजह से महायुति को बंपर वोट मिले। कई महिलाओं ने इस योजना की सराहना करते हुए बताया कि उन्हें इस योजना से काफी मदद मिली है।
एक लाभार्थी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करती हैं, क्योंकि इस योजना से उनके खाते में 1500 रुपये आने लगे हैं। उनका कहना था कि इस पैसे से वह अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं और इसे लेकर वह खुद को आत्मनिर्भर महसूस करती हैं। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी आभार जताया।
महिला लाभार्थियों का कहना है कि यह योजना उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आई है, जिससे न केवल आर्थिक मदद मिल रही है बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति भी बेहतर हो रही है। यह योजना निश्चित रूप से महिलाओं के लिए एक वरदान साबित हुई है, जिसने उन्हें स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है।