पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने शिक्षा जगत से जुड़े शिक्षाविदों, स्कूल प्रशासन, कुलपतियों और नगर अधिकारियों के साथ बैठक कर छात्रों की सुरक्षा को लेकर संयुक्त प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा कि संस्थानों, माता-पिता, हॉस्टल संचालकों और शहर प्रशासन के बीच समन्वित कार्रवाई जरूरी है, ताकि पुणे की पहचान “ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट” के रूप में बनी रहे। यह संबोधन बुधवार को पुणे सिटी पुलिस द्वारा आयोजित “Secure Horizons in Education 2025” कॉन्क्लेव में दिया गया, जिसका फोकस युवा सहभागिता और कैंपस सुरक्षा पर था।
इस पहल के तहत पुणे पुलिस ने शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से 2025–26 का सालभर चलने वाला स्टूडेंट सेफ्टी एंबेसडर प्रोग्राम लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य युवाओं में सुरक्षा जागरूकता, कानून की समझ, जेंडर सेंसिटिविटी, मानसिक स्वास्थ्य और जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण (नवंबर–दिसंबर 2025) में संस्थान अपने 4–5 छात्र एंबेसडरों को नामित करेंगे और तैयारी की जाएगी।
कुमार ने बताया कि कार्यक्रम के तीन दिनों में अलग-अलग विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा—पहले दिन कानून की जानकारी, युवाओं की जिम्मेदारियां, पुलिस की भूमिका और एंटी-नारकोटिक्स जागरूकता शामिल होगी। दूसरे दिन साइबर सेल द्वारा साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन व्यवहार से जुड़े सेशन होंगे, जबकि ट्रैफिक पुलिस सड़क सुरक्षा पर मार्गदर्शन देगी। तीसरे दिन छात्रों को नेतृत्व, महिलाओं की सुरक्षा, जेंडर सेंसिटिविटी, मानसिक स्वास्थ्य, इमोशनल रेज़िलिएंस और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट जैसे विषयों पर सशक्त किया जाएगा। तीसरा चरण जनवरी से अक्टूबर 2026 तक चलेगा, जिसमें रोड सेफ्टी वीक के दौरान 100 से अधिक स्ट्रीट प्ले आयोजित किए जाएंगे।
इन अभियानों के साथ ही पुलिस ने कैंपस सुरक्षा के लिए कड़े कदमों की घोषणा भी की है, जिसमें हॉस्टलों में रैंडम रूम चेक, कैंपस क्षेत्रों में सुरक्षा गश्त बढ़ाना, मेंटर–मेंटी सपोर्ट सिस्टम और इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड जैसे फायर सेफ्टी सुधार, सीसीटीवी जांच और महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती शामिल है। इसी दौरान पुणे पोर्शे केस का जिक्र करते हुए CP अमितेश कुमार ने कहा कि पिछले 12–18 महीनों में हुई घटनाओं ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशासनिक कमियों को दूर कर और रहने की सुविधाओं में सुधार करके ही “ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट” की रीइमेजिनिंग संभव है।