पुणे न्यूज डेस्क: पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सरकारी जमीन की कथित अवैध बिक्री से जुड़े मामले में आरोपी शीतल तेजवानी से इस हफ्ते दूसरी बार पूछताछ की। गुरुवार को उन्हें खड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज केस के सिलसिले में बुलाया गया, जहां टीम ने उनसे पांच घंटे से अधिक समय तक सवाल किए। इससे पहले मंगलवार को भी तेजवानी से विस्तृत पूछताछ हो चुकी है।
इस मामले में पार्थ पवार के बिजनेस पार्टनर दिग्विजय पाटिल और निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येओले भी आरोपी हैं। आरोप है कि येओले ने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर BSI को बेदखली नोटिस जारी किए। पुलिस का कहना है कि बिक्री दस्तावेज़ में पार्थ पवार का नाम न होने की वजह से उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है।
EOW अधिकारियों के मुताबिक, तेजवानी ने जांच टीम को कुछ अतिरिक्त कागज़ात—जैसे एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी—सौंपे। इन दस्तावेजों की जांच के बाद उनका नया बयान दर्ज किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने 40 एकड़ सरकारी जमीन को अमैडिया एंटरप्राइजेज LLP को बेचने का सौदा किया, जबकि वह 272 पुराने मालिकों की ओर से पावर ऑफ अटॉर्नी पर काम कर रही थीं।
उधर, IG राजेंद्र मुंथे की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है, जिसमें उप-पंजीयक आर.बी. तारू, पाटिल और तेजवानी को अवैध लेन-देन के लिए जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि सरकारी जमीन होने के बावजूद अमैडिया एंटरप्राइजेज को 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी गई थी, जबकि आरोपी इस जमीन की सरकारी स्थिति से भली-भांति वाकिफ थे।