पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में सरकारी कार्यालय परिसर से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हटाए जाने के बाद हालात गर्मा गए। सोमवार को कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया और प्रशासन को मजबूर होकर प्रतिमा को उसके मूल स्थान पर फिर से स्थापित करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह प्रतिमा कार्यालय परिसर का हिस्सा नहीं बल्कि एक विरासत संरचना का अहम हिस्सा थी।
दरअसल, प्रतिमा को शुक्रवार पेठ स्थित तहसीलदार कार्यालय से हटाकर नए परिसर में ले जाया गया था। प्रशासन ने पहले कहा था कि यह कार्यालय शिफ्ट किया जा रहा है और प्रतिमा को सम्मानपूर्वक नई जगह स्थापित किया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोगों और संगठनों ने इसे भावनाओं के साथ छेड़छाड़ माना और विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया।
शिवसेना (UBT) ने इस मामले पर सवाल उठाए। पुणे शहर इकाई के अध्यक्ष संजय मोरे ने कहा कि इमारत एक विरासत संरचना है और इसके बावजूद प्रतिमा हटाई गई। उन्होंने अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की और सवाल किया कि क्या प्रतिमा हटाने के लिए जरूरी अनुमति ली गई थी।
प्रशासन ने अंततः नरम रुख अपनाया और शाम तक प्रतिमा को फिर से उसके पुराने स्थान पर स्थापित कर दिया। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इरादा नहीं था, बल्कि केवल कार्यालय शिफ्टिंग की प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाया गया था। इस विवाद के चलते राजनीतिक हलचल भी बढ़ती नजर आ रही है।