पुणे न्यूज डेस्क: पुणे जमीन घोटाले को लेकर राजनीति गरमा गई है। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता अंबादास दानवे ने बड़ा बयान दिया और महायुति के आरोपों को निराधार करार दिया। दानवे ने कहा कि पार्थ पवार मामले से नाराज होकर अजित पवार सरकार से इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन अजित पवार के दबाव के चलते उन्हें बचाया गया।
इसी बीच समाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने पुन्हा आवाज उठाई। उन्होंने मांग की कि इस मामले में पार्थ पवार का नाम एफआईआर में शामिल किया जाए और जिला कलेक्टर के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो। अंजलि ने कहा कि यह मामला सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों का है।
डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस्तीफा मांगने वाली बात पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर निर्णय लूंगा। साथ ही उन्होंने दावा किया कि पार्थ पवार को यह जानकारी नहीं थी कि कंपनी ने जो जमीन खरीदी, वह सरकार की है।
मालूम हो कि मामला पुणे के कोरेगांव पार्क के पास महार वतन की 40 एकड़ जमीन से जुड़ा है। इस जमीन को 300 करोड़ रुपये में अमाडिया कंपनी को ट्रांसफर करने की कोशिश हुई थी, जिसमें पार्थ भी हिस्सेदार थे। विवाद तब शुरू हुआ जब 21 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं किया गया और जमीन की असली कीमत 1800 करोड़ रुपये बताई गई। इसके बाद यह टेंडर रद्द कर दिया गया।