पुणे न्यूज डेस्क: पुणे की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को वीर सावरकर पर दिए गए बयान के मामले में समन भेजा है। अदालत ने राहुल गांधी को 9 मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है। मामला वीर सावरकर के एक रिश्तेदार द्वारा दायर किया गया है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने लंदन में स्वतंत्रता सेनानी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि सावरकर और उनके साथियों ने एक मुसलमान व्यक्ति की पिटाई की थी और इस पर खुशी जताई थी। उन्होंने इसे कायरता की निशानी बताया था और कहा था कि यह उनके (सावरकर के) विचारधारा का हिस्सा था। इस टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया और अब कानूनी कार्यवाही की नौबत आ गई है।
इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी राहुल गांधी को फटकार मिली है। कोर्ट ने उन्हें चेताया कि भविष्य में यदि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कोई विवादित बयान दिया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने राहुल गांधी की टिप्पणियों पर असहमति जताते हुए कहा कि इतिहास और तथ्यों को समझे बिना इस तरह के बयान देना उचित नहीं है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दत्ता ने गांधी परिवार के इतिहास का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि क्या राहुल गांधी को यह जानकारी है कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी एक समय पर सावरकर की सराहना करते हुए पत्र लिखा था। साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या महात्मा गांधी को केवल इस वजह से अंग्रेजों का सेवक कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपने पत्रों में 'आपका वफादार सेवक' शब्दों का प्रयोग किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल लखनऊ की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह राहत इस शर्त पर दी गई है कि राहुल गांधी भविष्य में स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति दत्ता ने यह भी कहा कि यदि आगे ऐसा कोई बयान दिया गया तो कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करेगा।