पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में रविवार को अखंड मराठा समाज द्वारा “जन आक्रोश मोर्चा” का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शन बीड के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या और परभणी में हिरासत के दौरान सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के विरोध में किया गया। लाल महल से शुरू हुआ यह मार्च शनिवार वाडा से होते हुए जिला कलक्ट्रेट पर समाप्त हुआ। प्रदर्शन में सरपंच देशमुख के परिजन और अन्य संगठनों के नेता भी शामिल हुए।
मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल, राकांपा नेता बजरंग सोनावणे और प्रशांत जगताप के साथ भाजपा विधायक सुरेश धास भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने धनंजय मुंडे के इस्तीफे और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
सरपंच संतोष देशमुख का 9 दिसंबर, 2024 को अपहरण और हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप एनसीपी मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी माने जाने वाले वाल्मिक कराड पर लगाए गए हैं। दूसरी ओर, 15 दिसंबर को परभणी में सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में मौत ने भी विरोध को और भड़का दिया। सूर्यवंशी पर संविधान की प्रतिकृति को तोड़ने का आरोप लगने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था।
प्रदर्शन में शामिल जारांगे पाटिल ने कहा कि सभी दलों को पीड़ितों के परिवार को न्याय दिलाने के लिए साथ आना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि धनंजय मुंडे मराठा समाज को धमकी दे रहे हैं और जातीय तनाव पैदा कर रहे हैं। पाटिल ने चेतावनी दी कि जब तक दोषियों को फांसी नहीं दी जाएगी, तब तक यह आंदोलन पूरे राज्य में जारी रहेगा।
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने प्रदर्शन के दौरान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उच्च पदों पर बैठे नेताओं को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। वहीं, राकांपा नेता प्रशांत जगताप ने प्रशासन पर सूर्यवंशी की मौत में मिलीभगत का आरोप लगाया और कहा कि हत्यारों को सरकार का संरक्षण मिल रहा है।
भाजपा विधायक सुरेश धास ने भी सरपंच हत्या मामले को लेकर महायुति सरकार की आलोचना की। प्रदर्शनकारियों ने दोषियों को कड़ी सजा दिलाने और जातीय तनाव को रोकने के लिए एकजुटता दिखाने की अपील की। विरोध के दौरान “जाति से ऊपर उठकर अन्याय के खिलाफ लड़ने” की मांग जोरशोर से उठाई गई।