ताजा खबर
धर्मा प्रोडक्शंस ने पूरी की सनी संसकारी की तुलसी कुमारी की शूटिंग, सेट की होली तस्वीरों के साथ रिलीज...   ||    नेता और अभिनेता ज्ञान से साथ सलमान खान ने किया बिग बॉस 19 के नए "डेमोक्रेसी थीम" वाले घर का उद्घाटन!   ||    क्या राखी सावंत करेंगी बिग बॉस 19 में वाइल्ड कार्ड एंट्री? वायरल ऑडियो क्लिप से मचा हड़कंप   ||    द बैंड्स ऑफ़ बॉलीवुड से बदली सी हवा का सांग रिलीज़ हुआ   ||    'द ट्रायल सीजन 2' और 'जॉली एलएलबी 3' के बीच कोई टकराव नहीं काजोल ने साफ़ किया!!   ||    प्रियदर्शन की फिल्म हैवान में अक्षय कुमार और सैफ अली खान नज़र आएंगे, शूटिंग शुरू हुई!!   ||    ट्रंप के टैरिफ का विरोध करने वाले पूर्व NSA के घर FBI का छापा, भारत पर सख्त रुख की आलोचना से चर्चा म...   ||    यूक्रेन से युद्ध पर रूस का बड़ा ऐलान, डोनाल्ड ट्रंप ने भी लिया यूटर्न, पुतिन-जेलेंस्की की मीटिंग पर ...   ||    कौन हैं भारत में अमेरिका के नए एंबेसडर सर्जियो गोर? जिन्हें राष्ट्रपति ट्रंप ने किया नियुक्त, क्या ब...   ||    टिकटॉक पर अमेरिका में क्यों लगा है बैन? डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़ाई प्रतिबंध की समयसीमा   ||   

86 साल की उम्र में खगोल वैज्ञानिक जयंत नारलीकर का निधन

Photo Source : Google

Posted On:Wednesday, May 21, 2025

पुणे न्यूज डेस्क: प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक और विज्ञान को आम भाषा में लोगों तक पहुंचाने वाले पद्म विभूषण डॉ. जयंत विष्णु नारलीकर का मंगलवार को पुणे में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उनके परिवार ने बताया कि कुछ समय पहले उनके कूल्हे की सर्जरी हुई थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

डॉ. नारलीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को बनारस में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में की, जहां उनके पिता विष्णु वासुदेव नारलीकर गणित विभाग के प्रमुख थे। आगे की पढ़ाई के लिए वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गए, जहां उन्हें गणित के क्षेत्र में ‘रैंगलर’ की उपाधि और 'टायसन' मेडल मिला।

भारत लौटने के बाद डॉ. नारलीकर 1972 से 1989 तक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) से जुड़े रहे। यहां उन्होंने सैद्धांतिक खगोल भौतिकी विभाग को विकसित किया और उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। वह ब्रह्मांड विज्ञान में अपने शोध कार्यों के लिए पूरी दुनिया में पहचाने जाते थे और विज्ञान को सरल भाषा में समझाने के अपने प्रयासों के लिए भी सराहे गए।

1988 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उन्हें इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) की स्थापना के लिए आमंत्रित किया, जहां वह संस्थापक निदेशक बने। 2003 में सेवानिवृत्ति तक उन्होंने इस संस्था का नेतृत्व किया। उनके मार्गदर्शन में IUCAA खगोल विज्ञान की पढ़ाई और शोध के लिए एक विश्वस्तरीय केंद्र बन गया। उनके परिवार में उनकी तीन बेटियां हैं।


पुणे और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. punevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.