पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बुधवार को राज्य में 8 नए मामले सामने आए, जिससे कुल संख्या 67 हो गई है। सबसे ज्यादा मामले पुणे जिले में सामने आए हैं, जहां लोगों के बीच डर का माहौल है। फिलहाल 13 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 साल तक के 33 लोग और 20 से 80 साल तक के 34 लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं।
जीबीएस एक दुर्लभ ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करती है। यह बीमारी मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी, संतुलन की हानि और यहां तक कि पक्षाघात का कारण बन सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होती है और कुछ मामलों में टीकाकरण के बाद भी देखी गई है।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि पुणे ग्रामीण में 39, पुणे मनपा में 13, पिंपरी-चिंचवड़ में 12 और 3 मरीज अन्य जिलों से हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पुणे में बढ़ते मामलों का कारण 'कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी' नामक बैक्टीरिया है, जो दूषित या अधपका मांस और अनुपचारित पानी के सेवन से फैलता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर मुर्गियों की आंतों में पाया जाता है।
राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने नागरिकों से घबराने की बजाय सतर्क रहने और समय पर इलाज कराने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बीमारी पर काबू पाने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का गठन किया गया है। इस बीच, पुणे में जीबीएस के पहले संदिग्ध मामले में 64 वर्षीय महिला की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि तेज कमजोरी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराना चाहिए।