पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के सबसे बड़े आईटी पार्क में से एक राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क, हिंजवड़ी की सड़कों का हाल बारिश आते ही बदतर हो जाता है। रोज़ाना यहां काम करने वाले हजारों आईटी प्रोफेशनल्स को जलभराव, गड्ढों और भारी ट्रैफिक से जूझना पड़ता है। आमतौर पर 40 मिनट का सफर अब दो घंटे में पूरा हो रहा है। पानी में डूबी सड़कों पर पैदल चलना या गाड़ी चलाना, दोनों ही खतरनाक साबित हो रहे हैं।
हिंजवड़ी फेज 3 के आईटी कर्मियों का कहना है कि इलाके में बारिश के साथ ही सड़कों पर पानी भर जाना कोई नई बात नहीं है। इस साल जिन इलाकों में पहले जलभराव नहीं होता था, वहां भी अब पानी जमा हो रहा है। अधूरी सड़कें, गड्ढे और मेट्रो के अधूरे काम की वजह से रास्ते और भी खतरनाक हो गए हैं। कई जगहों पर लोहे की छड़ें बाहर निकली हुई हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
आईटी प्रोफेशनल्स का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की गैरमौजूदगी स्थिति को और खराब बना देती है। भारी बारिश के दौरान जब पूरा इलाका पानी में डूबा होता है, तब ट्रैफिक को कंट्रोल करने वाला कोई नहीं होता। भीड़भाड़ के समय सड़क के एक तरफ अतिरिक्त लेन बनाकर ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं होता। कई बार सड़क के गड्ढे इतने गहरे होते हैं कि पानी में छिप जाते हैं, जिससे वाहन चालकों को जोखिम उठाना पड़ता है।
स्थानीय लोग और कर्मचारी कहते हैं कि हिंजवड़ी में कई सरकारी एजेंसियां काम कर रही हैं लेकिन तालमेल की कमी से कोई ठोस हल नहीं निकलता। समय पर सड़क मरम्मत नहीं होने से हर साल बरसात में हालात बिगड़ते हैं। प्राकृतिक नालों को मेट्रो और दूसरी परियोजनाओं के चलते बंद कर दिया गया है, जिससे पानी निकलने का रास्ता ही नहीं बचा। दुकानदारों द्वारा बनाए गए ऊंचे प्लेटफॉर्म भी जल निकासी को रोक रहे हैं। हर साल सिर्फ वादे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हालात नहीं बदलते।