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पुणे में GBS बीमारी से हड़कंप, अब तक 101 मामले सामने आए, 16 मरीज वेंटिलेटर पर

Photo Source : Haribhoomi

Posted On:Monday, January 27, 2025

पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे हड़कंप मच गया है। हाल ही में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की इस बीमारी से मौत हो गई। कुछ दिन पहले वह सोलापुर जिले के अपने गांव गए थे, जिसके बाद उन्हें दस्त की समस्या शुरू हुई। कमजोरी बढ़ने पर उन्होंने सोलापुर के एक प्राइवेट अस्पताल में जांच कराई, जहां GBS का पता चला। शनिवार को उनकी तबीयत थोड़ी बेहतर होने पर उन्हें आईसीयू से बाहर लाया गया, लेकिन सांस लेने में तकलीफ के चलते उनकी मौत हो गई। इससे पहले पिंपरी के यशवंतराव चव्हान मेमोरियल अस्पताल में भर्ती 64 वर्षीय महिला की भी इसी बीमारी से मौत हो चुकी है।

पुणे में अब तक 101 GBS मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने पुणे में एक विशेष जांच टीम भेजी है। डिप्टी सीएम अजित पवार ने रविवार को घोषणा की कि पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में GBS मरीजों का इलाज मुफ्त में किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार प्रभावित इलाकों में सर्वेक्षण कर रही है ताकि और मरीजों की पहचान की जा सके और बीमारी के फैलने के कारणों का पता लगाया जा सके।

स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया GBS के बढ़ते मामलों के पीछे हो सकता है। पुणे के कुछ मरीजों के नमूनों में इस बैक्टीरिया का पता चला है, जो दुनियाभर में GBS के एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अलावा, पुणे के पानी के सैंपल लिए जा रहे हैं, खासतौर पर उन इलाकों से जहां मामले सामने आए हैं। खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में ई. कोली बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस कुएं का पानी इस्तेमाल किया जा रहा था या नहीं।

विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे अपने पीने के पानी को उबालकर इस्तेमाल करें और भोजन को अच्छे से पकाकर खाएं। 19 मामलों में मरीजों की उम्र नौ साल से कम है, जबकि 23 मामले 50 से 80 वर्ष की उम्र के लोगों के हैं। इससे यह साफ है कि बीमारी हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 25,578 घरों का सर्वेक्षण पूरा किया है ताकि नए मरीजों की पहचान की जा सके। आमतौर पर इस बीमारी के एक महीने में दो से अधिक मामले नहीं होते, लेकिन इस बार इतनी संख्या में मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पुणे में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और इस स्थिति से निपटने के प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं।


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