पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हिंदी भाषा को लेकर उठे विवाद पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले का कुछ राजनीतिक दल बेवजह विरोध कर रहे हैं। पिंपरी चिंचवड में चापेकर बंधुओं को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के उद्घाटन कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि मराठी हमारी मातृभाषा है और राज्य में उसे ही सर्वोच्च स्थान मिलेगा, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी का भी महत्व है।
राज्य सरकार के इस नए निर्णय को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने विरोध जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मनसे इस फैसले को स्वीकार नहीं करेगी और सरकार के हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास को सफल नहीं होने देगी। ठाकरे ने आरोप लगाया कि यह कदम राज्य में केंद्र की ‘हिंदीकरण’ नीति का हिस्सा है। कांग्रेस ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे जबरन हिंदी थोपने जैसा बताया है।
अजित पवार ने कहा कि हिंदी, मराठी और अंग्रेजी—तीनों भाषाओं की अपनी अहमियत है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने का फैसला किया, जो वर्षों से लंबित था। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मुंबई में मराठी भाषा भवन की स्थापना की योजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है। यह पूरा बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत हो रहा है, जिसके अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा तक त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू किया जा रहा है।