पुणे न्यूज डेस्क: पिछले 11 महीनों के दौरान पुणे रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने एक विशेष अभियान "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत 246 बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया। ये बच्चे किसी कारणवश अपने घरों से भाग गए थे और उनकी उम्र, वजह और परिस्थितियों के आधार पर आरपीएफ ने उन्हें बचाया। इस अभियान में 211 लड़के और 35 लड़कियां शामिल थीं, जिनकी रेस्क्यू के बाद उनके परिवारों से मुलाकात कराई गई।
पुणे आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई बच्चे शहर में बेहतर जीवन की तलाश में घर से भागते हैं, जबकि कुछ पारिवारिक विवादों या अन्य समस्याओं के कारण घर छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। पुणे रेलवे स्टेशन पर ऐसे बच्चों को बचाने के लिए आरपीएफ द्वारा "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" चलाया जा रहा है। प्रशिक्षित आरपीएफ कर्मी इन बच्चों की तलाश करते हैं, उनकी समस्याओं को समझते हैं, काउंसलिंग करते हैं और फिर उन्हें उनके परिवारों से मिलवाते हैं।
आरपीएफ का कार्य केवल रेलवे यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि अब बच्चों की सुरक्षा और उनकी घर वापसी का जिम्मा भी उनके कंधों पर है। "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत आरपीएफ कर्मी बच्चों के साथ संवाद करते हैं और फिर उन्हें उनके माता-पिता या रिश्तेदारों के संपर्क में लाकर सुरक्षित तरीके से घर वापस भेजने का काम करते हैं। यह अभियान बच्चों के लिए एक सुरक्षा जाल की तरह काम करता है।
2024 के जनवरी से नवंबर तक, कुल 1,099 बच्चों को बचाया गया, जिनमें 740 लड़के और 359 लड़कियां शामिल हैं। इन बच्चों को रेलवे सुरक्षा बल, मध्य रेलवे के राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और चाइल्डलाइन जैसे एनजीओ के सहयोग से उनके परिवारों से मिलवाया गया। इस समयावधि में इन बच्चों को बचाने का प्रयास पूरे देश के लिए एक बड़ी सफलता रही है।
इस अभियान की सफलता का श्रेय रेलवे सुरक्षा बल को जाता है, जिन्होंने अपने समर्पण और कार्यकुशलता से बच्चों को उनके घरों से मिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" ने न केवल बच्चों को बचाया, बल्कि उनके परिवारों को भी राहत दी, और यह दिखाया कि जब समाज एकजुट होता है, तो बड़े से बड़े संकटों का समाधान निकाला जा सकता है।