पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक आरोपी ने फर्जी कोर्ट ऑर्डर के सहारे बॉम्बे हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत हासिल कर ली। आरोपी हरिभाऊ चेमटे को जनवरी में यह जमानत मिली थी, लेकिन अब वह फरार है। पुलिस ने गुरुवार को जानकारी दी कि चेमटे ने कोर्ट में जालसाजी कर खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश की थी।
दरअसल, मामला 2022 का है, जब पुणे की CTR मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने एक शिकायत दर्ज करवाई थी। कंपनी को पता चला कि उसकी पेटेंट डिज़ाइन और ड्रॉइंग्स का इस्तेमाल चेन्नई की एक अन्य कंपनी कर रही थी। जांच में सामने आया कि इस गड़बड़ी में CTR के कुछ कर्मचारी भी शामिल थे। हरिभाऊ चेमटे 2016-17 के दौरान कंपनी के क्वालिटी कंट्रोल विभाग में काम करता था और पुलिस को शक हुआ कि वह भी इस डिज़ाइन चोरी में लिप्त था। इसी कारण पुणे के विमानतल पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
जब बॉम्बे हाई कोर्ट में चेमटे की अग्रिम जमानत याचिका लंबित थी, तब उसने एक फर्जी अदालत का आदेश तैयार किया। इस नकली दस्तावेज़ में लिखा गया था कि उसे धारा 169 CrPC के तहत राहत दी गई है। इतना ही नहीं, इस फर्जी आदेश में पुणे के न्यायिक मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) के जाली हस्ताक्षर भी किए गए थे। इसी दस्तावेज़ के आधार पर चेमटे ने हाई कोर्ट में दलील दी कि उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, जिसके बाद 17 जनवरी को उसे अग्रिम जमानत मिल गई।
बाद में जब इस आदेश की जांच की गई, तो शिकायतकर्ता ने इसमें गड़बड़ी पकड़ ली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर दी गई जमानत को रद्द कर दिया और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए। इसके बाद पुणे के विमानतल पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ नई शिकायत दर्ज करवाई गई। अब चेमटे पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें धारा 337 (सार्वजनिक रिकॉर्ड की जालसाजी), धारा 339 (फर्जी दस्तावेज़ रखने और असली बताकर इस्तेमाल करने का अपराध) और धारा 246 (अदालत में झूठा दावा कर धोखाधड़ी करना) शामिल हैं।