पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के चर्चित पोर्शे कार हादसे में अब एक नया मोड़ सामने आया है। सोमवार को इस केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने किशोर न्याय बोर्ड (JJB) से मांग की कि 17 साल के आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाया जाए। यह वही मामला है जिसमें 19 मई 2023 को कल्याणी नगर इलाके में नशे में धुत एक नाबालिग ने तेज रफ्तार पोर्शे कार से दो आईटी प्रोफेशनल्स को टक्कर मार दी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी।
घटना में मृतकों की पहचान अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा के रूप में हुई थी, जो बाइक से घर लौट रहे थे। हादसे के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। पुलिस ने शुरुआत से ही आरोपी को बालिग मानकर सुनवाई की मांग की थी, लेकिन बचाव पक्ष की ओर से लगातार मामले को खींचने की कोशिश की जाती रही। सोमवार को आखिरकार JJB में सुनवाई हुई, जिसमें विशेष लोक अभियोजक शिशिर हिराय ने तर्क दिया कि यह एक बेहद गंभीर अपराध है और आरोपी को यह समझ थी कि शराब पीकर गाड़ी चलाना खतरनाक है।
दूसरी ओर, आरोपी के वकील प्रशांत पाटिल ने अभियोजन की मांग का विरोध किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब तक किसी अपराध में न्यूनतम सजा सात साल की न हो, तब तक उसे ‘जघन्य’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। पाटिल ने दावा किया कि इस केस में ऐसी कोई धारा नहीं है जिसमें कम से कम सात साल की सजा तय हो। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि JJB पहले ही इस केस की शुरुआती जांच कर चुका है और उस रिपोर्ट में आरोपी को वयस्क के रूप में ट्रायल के लायक नहीं माना गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि हादसे के कुछ ही घंटों बाद आरोपी को बेहद आसान शर्तों पर जमानत मिल गई थी — जैसे रोड सेफ्टी पर 300 शब्दों का निबंध लिखना। इस फैसले पर देशभर में भारी विरोध हुआ और इसके बाद आरोपी को पुणे के ऑब्जर्वेशन होम भेजा गया। हालांकि हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि JJB द्वारा उसे ऑब्जर्वेशन होम भेजने का फैसला कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था। कोर्ट ने साफ कहा कि कानून का पूरी तरह पालन होना चाहिए।