पुणे न्यूज डेस्क: शनिवार, 24 मई की रात पुणे के खराडी इलाके में अचानक पुलिस की हलचल तेज हो गई। तकरीबन 150 पुलिसकर्मी एक बिल्डिंग के बाहर पहुंचे और सीधे उसकी 9वीं मंजिल पर धावा बोल दिया। यहां एक फर्जी कॉल सेंटर सालभर से अमेरिकी लोगों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डरा कर उनसे ठगी कर रहा था। ‘मैग्नाटेल बीपीएस एंड कंसल्टेंट्स एलएलपी’ नाम से चल रहे इस ऑपरेशन को पुलिस ने मुखबिरों की सूचना के बाद पकड़ने की योजना बनाई थी।
इस बड़े ऑपरेशन को एसीपी गणेश इंगले की अगुवाई में अंजाम दिया गया, जिसमें 10 घंटे की छापेमारी के बाद 64 लैपटॉप, 41 मोबाइल, 4 राउटर और लगभग 14 लाख रुपये नकद जब्त किए गए। साथ ही लैपटॉप्स से वीपीएन सॉफ्टवेयर, फर्जी कॉलिंग एप्स और लाखों अमेरिकी नागरिकों का डेटा बरामद हुआ। पुलिस ने बताया कि इस पूरे रैकेट के 8 मास्टरमाइंड हैं, जिनमें से 5 को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी की तलाश जारी है।
गिरफ्तार आरोपियों में सरजीत सिंह शेखावत, अभिषेक पांडे, श्रीमय शाह, लक्ष्मण शेखावत और आरोन क्रिश्चियन शामिल हैं, जबकि करण शेखावत, केतन रमानी और संजय मोरे फरार हैं। ये लोग खुद को अमेरिकी अधिकारी बताकर, अमेरिकी लोगों को उनके अमेजन अकाउंट के जरिए ड्रग तस्करी में फंसाने की धमकी देते थे। फिर उन्हें डराकर अमेजन गिफ्ट कार्ड खरीदने को कहा जाता, जिन्हें बाद में डॉलर में बदल कर हवाला नेटवर्क से भारत लाया जाता था।
पुलिस जांच में सामने आया है कि ये कॉल सेंटर कर्मचारी रोज़ाना एक लाख अमेरिकी नागरिकों का डेटा पाते थे और अंग्रेज़ी में उन्हें कॉल करके डराते थे। यहां काम करने वाले अधिकतर लोग उत्तर और पूर्वोत्तर भारत से हैं, जिनकी अंग्रेज़ी अच्छी है। कर्मचारियों को कैश में सैलरी दी जाती थी और उनसे गुप्तता की शर्त पर काम कराया जाता था। अब पुलिस यह पता लगा रही है कि इतने लोगों की भर्ती, ट्रेनिंग और ठगी की तकनीक कैसे विकसित की गई।