पुणे न्यूज डेस्क: आजकल दुर्लभ बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 6 नए संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिससे इस क्षेत्र में कुल मामलों की संख्या 73 हो गई है। यह एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके बारे में ज्यादातर लोग शायद ही जानते हों।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि अब तक 73 मामलों में 47 पुरुष और 26 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 14 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। हाल ही में 24 संदिग्ध मामलों की पहचान के बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) का गठन किया है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, संवेदनाओं का नुकसान और सांस लेने या निगलने में समस्या हो सकती है। यह दुर्लभ बीमारी है, लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
हालांकि, यह बीमारी गंभीर है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि इससे महामारी जैसी स्थिति नहीं बन सकती। यह बीमारी पुरुषों और एडल्ट्स में ज्यादा देखने को मिलती है। इस सिंड्रोम के लक्षणों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है।
पुणे के प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। अब तक 7,200 से ज्यादा घरों का सर्वे किया जा चुका है। सर्वेक्षण की प्रक्रिया पुणे नगर निगम, चिंचवड नगर निगम और ग्रामीण जिलों में चलाई गई है।
पुणे और इसके आसपास के इलाकों में सर्वेक्षण के तहत 1,943 घरों को पीएमसी सीमा के तहत, 1,750 को चिंचवड और 3,522 घरों को ग्रामीण क्षेत्र में कवर किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने मामलों में अचानक हुई वृद्धि के कारणों की जांच को प्राथमिकता दी है और पूरी तरह से सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।