पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के बोपोड़ी इलाके में सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। यह विवाद उस समय उजागर हुआ जब मुंडवा-कोरेगांव पार्क भूमि घोटाले के आरोपी पार्थ पवार, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे, से जुड़े मामले की जांच चल ही रही थी। पुणे पुलिस ने इस मामले में कुल 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें पुणे सिटी तहसीलदार सुयोगकुमार येवले, बिल्डर शीलत तेजवानी और अमाडिया एंटरप्राइजेज (Amadea Enterprises LLP) के डायरेक्टर दिग्विजय पाटिल शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने सरकारी कृषि विभाग की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के जरिए निजी नाम पर ट्रांसफर किया।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 201, 316(2), 316(5), 318(4), 336(3), 336(4), 338, 340(2), 6(2), 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की है। इन धाराओं में फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। तेजवानी और पाटिल पहले से ही कोरेगांव पार्क भूमि घोटाले में आरोपी हैं। उस घोटाले में लगभग 1,800 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन अवैध रूप से केवल 300 करोड़ रुपये में बेची गई थी, जिसमें 5.89 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी।
सवाल इसलिए और गंभीर है क्योंकि दिग्विजय पाटिल एनसीपी प्रमुख अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के साथ अमाडिया एंटरप्राइजेज में साझेदार हैं। पुलिस फिलहाल सभी दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है और यह पता लगाने में जुटी है कि सरकारी जमीन को निजी कंपनी के नाम पर कैसे ट्रांसफर किया गया। अधिकारियों को शक है कि इसमें कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत भी शामिल हो सकती है।
पुलिस और संबंधित एजेंसियां इस कथित घोटाले की पूरी गहराई से जांच कर रही हैं और आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए सबूत इकट्ठा कर रही हैं।