पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में जैन ट्रस्ट की जमीन की संदिग्ध खरीद-फरोख्त ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें केंद्रीय सहकार राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल का नाम सामने आना चर्चा का विषय बन गया है। सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभार ने इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा है। मामला हीराचंद नेमचंद दोशी मेमोरियल ट्रस्ट की करीब तीन एकड़ जमीन के सौदे से जुड़ा है, जिसे गोखले लैंडमार्क्स एलएलपी कंपनी ने कथित रूप से नियमों का उल्लंघन कर खरीदा है।
बताया जा रहा है कि इस सौदे के लिए बुलढाणा अर्बन को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी (महाराष्ट्र) और श्री बिरेश्वर को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी (कर्नाटक) ने करीब 70 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया था। आरोप है कि इन संस्थाओं ने कर्ज देने से पहले जरूरी जांच नहीं की और यह भी कहा जा रहा है कि इस पर बाहरी दबाव का असर था। चूंकि इन संस्थाओं की देखरेख की जिम्मेदारी केंद्रीय सहकार राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल के पास है, इसलिए उन पर सवाल उठने लगे हैं। इसके अलावा मोहोल पर गोखले लैंडमार्क्स एलएलपी के “गोखले बिजनेस बे” प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने का भी आरोप है, जिसके पार्टनर्स से उनके करीबी रिश्ते बताए जाते हैं।
मोहोल के चुनावी हलफनामे के मुताबिक, वह पहले गोखले इस्टेट्स एलएलपी में 50% हिस्सेदारी रखते थे, जो गोखले लैंडमार्क्स से जुड़ी हुई है। वहीं, महारेरा ने कंपनी पर रेरा कानून के उल्लंघन का मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। कंपनी पर “गोखले बिजनेस बे” और “तेजकुंज” प्रोजेक्ट्स के लिए एक ही बैंक खाता इस्तेमाल करने और फंड अलग न रखने का आरोप है, जिसके चलते प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया। इसके बावजूद सहकारी संस्थाओं द्वारा करोड़ों रुपये का कर्ज मंजूर किया जाना पूरे सौदे पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
इन सब आरोपों पर मुरलीधर मोहोल ने सफाई देते हुए कहा कि उनका इस प्रकरण से कोई संबंध नहीं है और उन्होंने किसी भी तरह की राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव नहीं डाला। हालांकि, विपक्ष से लगातार हमलों के बीच मोहोल ने सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि शिंदे गुट के नेता रविंद्र धंगेकर के आरोपों से नाराज मोहोल ने सीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे से बात करने का अनुरोध किया है।