पुणे न्यूज डेस्क: 2025 में पिछले कई सालों की तुलना में पुणे में बारिश के दिन ज्यादा रहे, लेकिन शहर की पानी के टैंकरों पर निर्भरता कम होने के बजाय और बढ़ गई है। नआईबीएम रोड, खराड़ी जैसे इलाकों के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में टैंकरों की जरूरत लगभग दोगुनी हो गई है। कई सोसाइटियां तो दिन में एक बार भी नियमित पानी नहीं पा रही हैं। हैरानी की बात ये है कि जहां एक ओर लोग पानी के लिए परेशान हैं, वहीं खड़कवासला डैम से आने वाला हजारों लीटर पानी हर दिन सिंहगढ़ रोड पर लीक हो रही पाइपलाइन से बेकार जा रहा है। ये समस्या एक साल से बनी हुई है, लेकिन नगर निगम ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
पू ल देशपांडे गार्डन के पीछे स्थित पंपिंग स्टेशन पर जब ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की टीम पहुंची तो नज़ारा चौंकाने वाला था। करीब 600 मीटर लंबी चार पाइपों में से एक पाइप में दरार से लगातार पानी बह रहा था। स्थानीय निवासी और आर्किटेक्ट सरंग यादवडकर ने बताया कि ये पानी ज़मीन के अंदर से होते हुए सीधे मुठा नदी में जा रहा है। उनका कहना है कि “हर दिन इतने पानी की बर्बादी हो रही है कि उससे करीब 1.2 लाख लोगों की जरूरत पूरी हो सकती है।” उन्होंने बताया कि वे एक साल से ज्यादा समय से पुणे नगर निगम (PMC) को इस बारे में शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
नगर निगम के जल विभाग के मुख्य अभियंता नंदकिशोर जगताप ने माना कि पाइप बहुत पुरानी हैं, जिन्हें ठीक करना आसान नहीं है। उन्होंने बताया कि फिलहाल अस्थायी इंतज़ाम के तौर पर वहां पंप लगाया गया है ताकि पानी वापस टैंक में पहुंचाया जा सके। हालांकि जब मीडिया टीम वहां पहुंची, तो वो पंप बंद पाया गया। जगताप ने ये भी स्वीकार किया कि पुणे में 40 फीसदी पानी लीकेज और गैरकानूनी कनेक्शनों में बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा, “शून्य लीकेज संभव नहीं है, लेकिन हम इसे 15 फीसदी से नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं।”
विशेषज्ञों का कहना है कि जब शहर के कई इलाकों में पानी की किल्लत है, तो इतनी बड़ी बर्बादी अस्वीकार्य है। भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्था के अनुसार वितरण में 10 फीसदी से ज्यादा पानी की हानि नहीं होनी चाहिए, लेकिन पुणे में यह चार गुना ज्यादा है। नगर निगम ने शहर को 141 ज़ोनों में बांटकर लीकेज ढूंढने की योजना बनाई है, पर शोर-शराबे और नागरिकों के विरोध की वजह से काम धीमा है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में पानी की समस्या और भी गंभीर हो सकती है।