पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र सरकार ने पुणे स्थित वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (VSI) के फंड के इस्तेमाल की जांच कराने का आदेश दिया है। इस संस्थान के अध्यक्ष एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार हैं, जिसके चलते राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्ष ने इस कदम को सीधे-सीधे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है, जबकि सरकार का कहना है कि यह सिर्फ एक नियमित प्रक्रिया है।
जानकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने 30 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में इस ऑडिट को मंजूरी दी थी। शुगर कमिश्नर संजय कोलते ने बताया कि कैबिनेट के मिनट्स मिलने के बाद वीएसआई के रिकॉर्ड और फंड के इस्तेमाल की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि अभी तक संस्थान के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि वीएसआई के खिलाफ कोई जांच शुरू नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि शुगर कमिश्नर ने केवल यह जानकारी मांगी है कि संस्थान पेराई की गई प्रति टन गन्ने पर वसूले जाने वाले 1 रुपये का उपयोग कैसे करता है। फडणवीस ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में कोई गंभीर शिकायत मिलती है, तो जांच जरूर की जाएगी।
1975 में गन्ना किसानों द्वारा स्थापित यह संस्थान चीनी उद्योग के लिए अनुसंधान एवं विकास का केंद्र है। शरद पवार के अलावा अजित पवार, दिलीप पाटिल, जयंत पाटिल और बालासाहेब थोरात भी इसके ट्रस्टी हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार बारामती जैसे विपक्षी गढ़ों को निशाना बना रही है, जो लंबे समय से पवार परिवार का राजनीतिक आधार रहा है।