पुणे न्यूज डेस्क: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को पुणे के विवादित जमीन सौदे की जांच पर गंभीर शंका जताई और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल खड़े कर दिए। अदालत ने पूछा कि आखिर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम एफआईआर में क्यों नहीं है और क्या जांच एजेंसी जानबूझकर उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है। ये टिप्पणी जस्टिस माधव जामदार ने कारोबारी शीतल तेजवानी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
सुनवाई में अदालत ने यह भी पूछा कि क्या पुलिस सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जबकि प्रभावशाली नामों पर हाथ नहीं डाल रही। लोक अभियोजक मनकुंवर देशमुख ने जवाब दिया कि पुलिस कानून के अनुसार ही कदम उठा रही है। अधिकारियों का कहना है कि पार्थ पवार का नाम किसी भी दस्तावेज में दर्ज नहीं है, इसलिए उन्हें एफआईआर में शामिल नहीं किया गया। दूसरी ओर, दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और उप-पंजीयक रविंद्र तारू पर समिति ने जिम्मेदारी तय की है।
शीतल तेजवानी को 3 दिसंबर को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया था और वे 11 दिसंबर तक हिरासत में रहेंगे। हाईकोर्ट की टिप्पणी सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई। इस बीच, विपक्ष ने भी सवाल उठाना शुरू कर दिया कि क्या जांच निष्पक्ष दिशा में आगे बढ़ रही है या नहीं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान देकर साफ किया कि सरकार किसी भी व्यक्ति को संरक्षण देने के मूड में नहीं है। उन्होंने कहा कि दोषी चाहे कोई भी क्यों न हो, कार्रवाई सख्त होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अदालत में सभी सवालों के जवाब पेश किए जाएंगे और जांच पारदर्शी तरीके से जारी रहेगी।