पुणे न्यूज डेस्क: बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था ने बार-बार यह दिखाया है कि सेवा का असली अर्थ निस्वार्थ प्रयास और मानवता की भलाई में है। चाहे प्राकृतिक आपदाएँ हों या सामाजिक संकट, संस्था हमेशा संगठित और अनुशासित तरीके से मदद के लिए आगे आती है। उनके काम की खासियत यह है कि इसमें व्यक्तिगत लाभ की बजाय सामूहिक भलाई और जीवन रक्षा को प्राथमिकता दी जाती है।
हाल ही में मुंबई, नासिक और पुणे में आयोजित विशाल रक्तदान शिविरों ने इस दृष्टिकोण को और मजबूत किया। इन शिविरों में 11,47,600 सीसी रक्त इकट्ठा किया गया, जो न केवल जीवन बचाने में मददगार है बल्कि समाज में सेवा के संदेश को भी फैलाता है। हजारों स्वयंसेवक और श्रद्धालु इन शिविरों में शामिल हुए और इस काम को महंत स्वामी महाराज की प्रेरणा से सफल बनाया।
बीएपीएस के स्वयंसेवक ही संस्था की रीढ़ हैं। उनका अनुशासन, समर्पण और तत्परता हर चुनौती में सेवा को संभव बनाता है। पहले भी अहमदाबाद में आयोजित समारोहों में रिकॉर्ड मात्रा में रक्त संग्रहित किया गया था। वर्तमान में 55,000 से अधिक स्वयंसेवक सालाना लाखों घंटे समाज सेवा में योगदान देते हैं, जिसमें महिला स्वयंसेवकों की भागीदारी विशेष रूप से प्रेरक है।
संस्था की सेवा केवल भारत तक सीमित नहीं है। BAPS Charities के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में मोबाइल क्लीनिकों के जरिए स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। छह प्रमुख अस्पताल और 14 मोबाइल वैन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य, भोजन वितरण और पुनर्वास गतिविधियों में भी बीएपीएस सक्रिय है। इस प्रकार, संस्था ने निस्वार्थ सेवा और मानवता को वास्तविक रूप में पेश किया है।