पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के जल वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु कुलकर्णी ने इतिहास रच दिया है। उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित वॉटर प्राइज मिला है। यह सम्मान लगभग 16 साल बाद किसी भारतीय को हासिल हुआ है। डॉ. कुलकर्णी ने अपनी सोच और लंबे समय से किए जा रहे शोध के दम पर पानी और जल संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बनाई है।
डॉ. कुलकर्णी का ज्यादातर काम भूमिगत जल यानी ग्राउंडवॉटर पर केंद्रित रहा है। वह लगातार यह संदेश देते आए हैं कि पानी का सही उपयोग और संरक्षण न हुआ तो आने वाली पीढ़ियों को भीषण संकट का सामना करना पड़ सकता है। उनकी रिसर्च न सिर्फ भारत में, बल्कि दूसरे देशों में भी अपनाई गई है।
अंतरराष्ट्रीय जूरी ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए इसलिए चुना क्योंकि उन्होंने पानी से जुड़े असली संकटों को गहराई से समझा और उनके व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। यही वजह है कि उनकी सोच और मॉडल्स आज कई देशों में जल प्रबंधन की दिशा बदल रहे हैं।
इस उपलब्धि के साथ भारत का नाम एक बार फिर गर्व से ऊंचा हुआ है। यह साबित हो गया है कि हमारे वैज्ञानिक वैश्विक मंच पर बड़ी चुनौतियों का समाधान खोजने की क्षमता रखते हैं। पानी जैसी गंभीर समस्या पर भारतीय वैज्ञानिक को मिला यह पुरस्कार पूरे देश के लिए गौरव की बात है।