पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के बहुचर्चित पोर्शे कार केस में नया मोड़ तब आया जब आरोपी नाबालिग की मां शिवानी अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। शिवानी पर अपने बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने और डॉक्टरों को रिश्वत देने के आरोप लगे थे। जून 2024 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और वह करीब दस महीने से जेल में थीं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए जमानत दे दी है, हालांकि मामले में कानून से जुड़े सवालों पर फैसला फिलहाल सुरक्षित रखा गया है।
शिवानी अग्रवाल ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया था, लेकिन हाईकोर्ट ने कोई सीधी राहत नहीं दी और मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया गया। इसके बाद शिवानी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। वहां से उन्हें मंगलवार को राहत मिल गई।
यह मामला मई 2023 की उस दर्दनाक रात से जुड़ा है, जब पुणे में 17 वर्षीय नाबालिग ने शराब के नशे में तेज रफ्तार पोर्शे कार चलाते हुए दो आईटी प्रोफेशनल्स को टक्कर मार दी थी। दोनों की मौके पर मौत हो गई थी। हैरानी की बात यह रही कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी को सिर्फ एक निबंध लिखने की सजा देकर जमानत दे दी थी, जिस पर जमकर विवाद हुआ। बाद में जांच में सामने आया कि आरोपी का ब्लड सैंपल उसकी मां ने बदलवाया था ताकि नशे में होने का सबूत न मिले।