पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में इस समय यह चर्चा ज़ोरों पर है कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की सरकार इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) द्वारा शासित खैबर पख्तूनख्वा (KP) प्रांत में राज्यपाल शासन लगाने पर विचार कर रही है। यह संभावित कदम इमरान खान की नज़रबंदी और उनकी सुरक्षा को लेकर चल रहे हंगामे के बीच PTI के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।
चूंकि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ इस समय लंदन में हैं, इसलिए इस महत्वपूर्ण निर्णय पर कोई अंतिम फैसला उनके इस्लामाबाद लौटने के बाद ही लिया जाएगा। हालाँकि, बिगड़ते हालात को देखते हुए सियासी हलकों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज़ हो गई है।
राज्यपाल शासन पर विचार की मुख्य वजहें
शहबाज़ शरीफ सरकार खैबर पख्तूनख्वा में राज्यपाल शासन लगाने पर कई गंभीर कारणों से विचार कर रही है। ये कारण न केवल प्रशासनिक विफलता से जुड़े हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण हैं:
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बिगड़ती कानून व्यवस्था: प्रांत में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
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आतंकी हमलों में वृद्धि: आतंकी हमलों में वृद्धि एक प्रमुख चिंता का विषय है, जिसे रोकने में प्रांतीय सरकार विफल रही है।
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नशे और हथियार की तस्करी: सीमावर्ती प्रांत होने के कारण यहाँ नशे और हथियारों की तस्करी भी एक गंभीर समस्या है।
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प्रशासनिक विफलता: सरकार का मानना है कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री लोगों को सुरक्षा और राहत प्रदान करने में विफल रहे हैं।
इन चुनौतियों के बीच, राजनीतिक, प्रशासनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर, शहबाज़ सरकार मानती है कि यह एक बड़ा कदम हो सकता है जो संकटकालीन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संवैधानिक प्रावधान के तहत अनिवार्य हो गया है।
PTI के बढ़ते दबाव का जवाब
PTI प्रमुख इमरान खान की रिहाई के लिए उनकी पार्टी द्वारा बढ़ता राजनीतिक दबाव और सरकार के साथ लगातार बढ़ता टकराव भी इस फैसले के पीछे एक अहम वजह है। गवर्नर शासन लागू करके संघीय सरकार न केवल सीधे प्रांत की कानून-व्यवस्था को नियंत्रित कर पाएगी, बल्कि PTI के राजनीतिक प्रभाव को भी कम कर सकेगी।
कानून मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यदि खैबर पख्तूनख्वा में राज्यपाल शासन लगाने का प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो इस आदेश को लागू करने के लिए संसद की जॉइंट मीटिंग बुलाई जाएगी।
यह कदम पाकिस्तान के पहले से ही अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य को और गरमा सकता है, जहाँ PTI लगातार संघीय सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। गवर्नर शासन लागू होने से PTI को अपने गढ़ में ही बड़ा झटका लगेगा और शहबाज़ सरकार को प्रांत में सीधे नियंत्रण हासिल हो जाएगा।