पुणे न्यूज डेस्क: पुणे की स्पेशल कोर्ट वीर सावरकर पर लंदन में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में 7 अप्रैल को अपना फैसला सुनाएगी। यह मामला कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज किया गया था। उनके वकील एडवोकेट मिलिंद पवार ने कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि इस केस की सुनवाई समरी ट्रायल की बजाय समन्स ट्रायल के रूप में होनी चाहिए। समन्स ट्रायल में विस्तृत जिरह और साक्ष्यों पर चर्चा होती है, जिससे मामला गहराई से सुना जा सकता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अब 7 अप्रैल को अपना फैसला सुनाने का निर्णय लिया है। इस मामले में याचिका दायर करने वाले वीर सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर के वकील एडवोकेट संग्राम कोल्हटकर ने भी इस पर सहमति जताई है।
राहुल गांधी के खिलाफ यह केस सत्यकी सावरकर ने मार्च 2023 में लंदन में दिए गए उनके भाषण को लेकर दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने अपने बयान में वीर सावरकर के नाम पर गलत तथ्य पेश किए और उनके बारे में झूठी बात कही। शिकायत में कहा गया था कि राहुल गांधी ने एक पुस्तक का हवाला देते हुए दावा किया था कि वीर सावरकर ने उसमें लिखा है कि उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और इससे उन्हें खुशी हुई थी। हालांकि, शिकायतकर्ता का कहना है कि वीर सावरकर ने अपनी किसी भी पुस्तक में ऐसा उल्लेख नहीं किया है और राहुल गांधी की यह टिप्पणी अपमानजनक है।
कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील ने कहा था कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर खुद को वीर सावरकर का वंशज बताते हैं, जिन्हें महात्मा गांधी की हत्या के मामले में सह-साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया था। हालांकि, अदालत ने वीर सावरकर को बरी कर दिया था, जबकि उनके सह-आरोपी नाथूराम गोडसे को मौत की सजा दी गई थी। इस केस में पहले ही राहुल गांधी को कोर्ट में पेशी से स्थायी छूट और जमानत मिल चुकी है। अब 7 अप्रैल को कोर्ट इस पर अंतिम फैसला सुनाएगी कि यह केस समरी ट्रायल की तरह आगे बढ़ेगा या समन्स ट्रायल के रूप में चलेगा।