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राजस्थान के महारानी कॉलेज की तीन मजारों पर बवाल, संगठन की चेतावनी से मचा हड़कंप

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Posted On:Thursday, July 3, 2025

जयपुर के महारानी कॉलेज के परिसर में मौजूद तीन मजारों को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर इन मजारों की एक वीडियो वायरल हुई, जिसने कई सवालों को जन्म दिया है। इस वीडियो के बाद धरोहर बचाओ समिति ने कॉलेज प्रशासन और राज्य सरकार से तुरंत जांच और कार्रवाई की मांग की है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इन मजारों को हटाने की कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

विवाद की शुरुआत

महारानी कॉलेज, जो राजस्थान की बेटियों की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, के परिसर में तीन मजारें मौजूद हैं। ये मजारें दशकों से यहां हैं, लेकिन अब इनकी मौजूदगी पर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में ये मजारें साफ दिखाई दे रही हैं, जिन पर चादरें चढ़ी हुई और फूल रखे गए हैं। इस वीडियो ने कई लोगों में चिंता और विवाद पैदा कर दिया है कि आखिर ये मजारें यहां कब से हैं और क्यों हैं?

धरोहर बचाओ समिति का कहना है कि कॉलेज परिसर में धार्मिक संरचनाओं का होना शिक्षा संस्थान की शुद्धता और सांस्कृतिक पहचान के लिए सही नहीं है। उनका यह भी आरोप है कि शायद किसी ‘षड्यंत्र’ के तहत ये मजारें बनवाई गई हैं, जिससे संस्थान के माहौल में बदलाव आ रहा है। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट भारत शर्मा ने कहा है कि यह मामला गंभीर है और इसे तुरंत सुलझाना जरूरी है।

धार्मिक घुसपैठ का सवाल

समिति के अनुसार, महारानी कॉलेज जैसे बड़े शैक्षिक संस्थान में किसी भी तरह की धार्मिक संरचना का होना विवादास्पद है। वे इस बात पर भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कॉलेज परिसर में ऐसी मजारें कब और किस उद्देश्य से बनाई गईं। इसके साथ ही वे यह भी चिंतित हैं कि कहीं ये धार्मिक ढांचे छात्राओं के लिए एक नकारात्मक संदेश तो नहीं दे रहे।

समिति के सदस्यों का कहना है कि शिक्षा संस्थान में सभी छात्रों के लिए समान माहौल होना चाहिए, जहां किसी भी धर्म विशेष की आस्था या प्रभाव अधिक न हो। वे इस बात को लेकर भी सतर्क हैं कि कहीं इस तरह की संरचनाओं के कारण कॉलेज का माहौल प्रभावित न हो और छात्रों के बीच किसी प्रकार का धार्मिक भेदभाव न पैदा हो।

प्रिंसिपल का बयान और जांच का वादा

महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल पायल लोढा ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये मजारें काफी पुरानी हैं और कॉलेज प्रशासन के आने से पहले से यहां मौजूद हैं। उनके पास मजारों के निर्माण या उनके इतिहास से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं हैं। प्रिंसिपल ने साफ कहा कि वह इस पूरे मामले की जांच खुद करेंगी और स्थिति का पता लगाएंगी।

उन्होंने यह भी बताया कि कॉलेज प्रशासन इस विवाद को लेकर पूरी तरह सतर्क है और किसी भी प्रकार की अनहोनी को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। प्रिंसिपल का कहना है कि शिक्षा संस्थान को धार्मिक विवादों से दूर रखना जरूरी है ताकि छात्राएं पूरी स्वतंत्रता से पढ़ाई कर सकें।

सामाजिक और शैक्षिक माहौल पर असर

महारानी कॉलेज में मौजूद इन मजारों को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह शिक्षा संस्थानों में धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक पहचान के बीच संतुलन की जटिलता को उजागर करता है। राजस्थान जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से विविध राज्य में यह मामला और भी संवेदनशील हो जाता है।

शैक्षिक संस्थानों का मकसद विद्यार्थियों को ज्ञान देना और उनके सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना होता है। लेकिन जब वहां धार्मिक प्रतीकों का विवाद उठता है, तो यह छात्राओं के लिए एक चिंता का विषय बन जाता है। छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में यह सवाल उठते हैं कि क्या शिक्षा संस्थान एक निष्पक्ष और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर रहा है?

समिति की चेतावनी और सरकार से मांग

धरोहर बचाओ समिति ने राज्य सरकार से भी मांग की है कि वे इस मामले की तुरंत जांच करें और उचित कार्रवाई करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन या सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से कदम नहीं उठाते हैं, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

समिति का कहना है कि शिक्षा संस्थानों में ऐसी संरचनाओं का होना समाज में गलत संदेश देता है और यह छात्रों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उनका मानना है कि हर छात्रा को बिना किसी धार्मिक भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।

निष्कर्ष

जयपुर के महारानी कॉलेज में मौजूद तीन मजारों का विवाद न केवल एक स्थानीय मुद्दा है, बल्कि यह पूरे राज्य में शिक्षा और धार्मिक सहिष्णुता के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी पेश करता है। यह मामला शिक्षा के क्षेत्र में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर की संवेदनशीलता को समझने और संभालने की आवश्यकता को दर्शाता है।

प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएं और शिक्षा संस्थानों को सभी धर्मों और समुदायों के लिए सुरक्षित और समावेशी वातावरण बनाए रखें। वहीं, सामाजिक संस्थाओं और जनता को भी यह समझना होगा कि शिक्षा से जुड़े विवादों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह आने वाली पीढ़ी के भविष्य को प्रभावित करता है।

महारानी कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि समाज को एक बेहतर और सहिष्णु भविष्य की ओर ले जाना भी है। ऐसे विवादों को सुलझाकर ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।


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