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Bengaluru Stampede: 11 लोगों के मौत की 4 बड़ी वजह आई सामने, BJP ने सीएम-डिप्टी सीएम का इस्तीफा मांगा

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Posted On:Thursday, June 5, 2025

बेंगलुरु में आईपीएल जीत का जश्न मनाने निकली पूरी आरसीबी टीम और उनके प्रशंसकों के लिए बुधवार का दिन काला साबित हुआ। उत्सव के दौरान शहर में उमड़ी भारी भीड़ में भगदड़ मचने से 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में पांच महिलाएं और छह पुरुष शामिल हैं, जिनकी मौत सिर, रीढ़ और पेट में आई गंभीर चोटों के कारण हुई। यह हादसा न केवल बेंगलुरु बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी सदमा है।

हादसे के बाद के हालात और सरकार की प्रतिक्रिया

कर्नाटक सरकार ने इस दुखद हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और घायलों के बेहतर इलाज का आदेश दिया है। आरसीबी टीम मैनेजमेंट ने भी घटना पर दुःख जताया है। हालांकि, इस हादसे ने राजनीतिक बवाल भी खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से तत्काल इस्तीफे की मांग की है। उनका आरोप है कि इस हादसे की वजह सीएम और डिप्टी सीएम के बीच जश्न में क्रेडिट लेने की होड़ रही। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाया कि स्टेडियम जैसे भीड़ वाले इलाके में न तो एंबुलेंस की सुविधा थी और न ही फायर ब्रिगेड की मौजूदगी, जिससे बचाव कार्य प्रभावित हुआ।

इस बीच एक पीड़ित परिवार का बयान भी सामने आया है जिसमें एक युवक ने पुलिस से गुहार लगाई है कि बिना पोस्टमॉर्टम के ही उनका मृत बेटे का शव सौंप दिया जाए, ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें।


भगदड़ की मुख्य वजहें क्या थीं?

  1. फ्री पास वितरण और भीड़ नियंत्रण में कमी
    आरसीबी टीम की वेबसाइट पर फ्री पास जारी किए जाने की सूचना मिली, लेकिन वेबसाइट पर अचानक भारी ट्रैफिक के कारण क्रैश हो गई। जिसके चलते बड़ी संख्या में बिना पास लिए भी लोग स्टेडियम पहुंच गए। इस वजह से भीड़ का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया और भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन असफल रहा।

  2. नाले का स्लैब टूटना और गेट पर भीड़ का दबाव
    भीड़ इतनी ज्यादा थी कि स्टेडियम के बाहर नाले का स्लैब टूट गया। गेट नंबर 12, 13 और 10 पर लोग अंदर घुसने के लिए तोड़फोड़ करने लगे। दोपहर के बाद अचानक भीड़ और ज्यादा बढ़ गई, जिससे गेट बंद कर दिए गए और अंदर लोग फंस गए। गेट नंबर 10 की स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई और यहां से भगदड़ फैल गई।

  3. पुलिस व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण में कमी
    एक पुलिस अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि 1 किलोमीटर के दायरे में करीब 50 हजार लोग जमा थे। पुलिस ने फोर्स तैनात की थी लेकिन ये इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। कई स्थानों पर भीड़ ने गेट तोड़ने की कोशिश की, और पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा। स्टेडियम के गेट संकरे थे, जिससे भीड़ का दबाव बढ़ गया और भगदड़ जैसी स्थिति बनी।

  4. प्राथमिक सुरक्षा इंतजामों में चूक
    भीड़ को स्टेडियम से पहले ही बैरिकेडिंग कर रोकने की कोशिश नहीं की गई। जबकि स्वागत समारोह के दौरान विधान सौधा में भारी भीड़ जमा हो रही थी, जिसके चलते स्टेडियम के बाहर भीड़ तेजी से इकट्ठा हुई। पुलिस और प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश नहीं दिए कि कौन से गेट से एंट्री होगी और जनता को भी इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। इससे लोग असमंजस में रह गए और अनियंत्रित भीड़ पैदा हुई।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और जिम्मेदारी का सवाल

इस हादसे के बाद राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है और कहा है कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई है। वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे हादसे देश में पहले भी हुए हैं, जैसे कुंभ मेले में भीड़ में जान जाने के मामले सामने आए थे। उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इनकार नहीं किया लेकिन कहा कि वे पूरे मामले की जांच कराएंगे।


आगे की संभावनाएं और जांच

सरकार ने इस मामले में जांच कमेटी बनाने की घोषणा की है जो हादसे की गहन पड़ताल करेगी। जांच में यह सामने आएगा कि आयोजकों, पुलिस प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों की क्या भूमिका थी। आरसीबी मैनेजमेंट की ओर से भी कहा गया है कि वे जांच में सहयोग करेंगे। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि इस हादसे के पीछे कौन-कौन जिम्मेदार थे और किस प्रकार ऐसी दुर्घटना को भविष्य में रोका जा सकता है।


निष्कर्ष

बेंगलुरु में आईपीएल विजेता टीम के स्वागत के लिए निकली भीड़ में भगदड़ ने 11 निर्दोष लोगों की जान ले ली, जो न केवल एक बड़े हादसे की याद है बल्कि सुरक्षा व्यवस्था में हुई गंभीर चूक की भी पहचान है। भीड़ प्रबंधन, प्रशासनिक तैयारियों और आयोजकों की जिम्मेदारी को लेकर उठ रहे सवाल इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बड़े आयोजन में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए बिना बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा करना जानलेवा साबित हो सकता है।

आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट और सरकारी कार्रवाई इस बात का जवाब देंगी कि किसने इस त्रासदी को रोकने में विफलता दिखाई। इस घटना ने पूरे देश को चेताया है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई समझौता नहीं होना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे दुखद हादसे दोबारा न हों।

बढ़ती भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को देखते हुए यह जरूरी है कि आयोजक, प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम करें और हर स्तर पर सतर्कता बरतें। तब जाकर ही जनता की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी।


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