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क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य? ईरान में प्रस्ताव पास होने से मचा हड़कंप, क्या पूरी दुनिया पर पड़ेगा असर?

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Posted On:Monday, June 23, 2025

इजरायल और ईरान के बीच बीते 10 दिनों से जारी युद्ध अब एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। शनिवार देर रात अमेरिका ने इस युद्ध में सीधे हस्तक्षेप करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। इन हमलों के बाद ईरान की संसद ने एक ऐसा प्रस्ताव पास किया है, जिसने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। यह प्रस्ताव है — होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव, जिसके पास होने के बाद अब सिर्फ सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई की मंजूरी बाकी है।

अगर यह प्रस्ताव पारित होकर अमल में आता है, तो न सिर्फ पश्चिम एशिया, बल्कि पूरी दुनिया, खासकर तेल आयातक देश जैसे भारत और चीन इसकी चपेट में आ जाएंगे।


क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य?

होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) एक बेहद अहम समुद्री मार्ग है, जो ईरान और ओमान के बीच स्थित है। यह फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और इसका उपयोग मुख्य रूप से तेल और गैस के बड़े-बड़े टैंकरों द्वारा किया जाता है।

  • इसकी कुल लंबाई लगभग 161 किलोमीटर है।

  • सबसे संकरे हिस्से में इसकी चौड़ाई 33 किलोमीटर है।

  • जबकि जहाजों के लिए उपयोग की जाने वाली लेन दोनों दिशाओं में सिर्फ 3 किलोमीटर की है।

यह जलडमरूमध्य पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे होकर दुनिया के करीब 20% कच्चे तेल का परिवहन होता है।


🇮🇷 ईरान की धमकी: "जब ज़रूरत होगी, बंद कर देंगे"

ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर और सांसद इस्माइल कोसरी ने मीडिया से बातचीत में कहा,

“यह एजेंडे में है और जब जरूरत होगी, हम होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देंगे।”

उन्होंने साफ संकेत दिया कि अगर अमेरिका और इजरायल के हमले तेज होते हैं, तो यह निर्णायक कदम उठाया जाएगा

ईरान के प्रेस टीवी ने भी रिपोर्ट दी है कि इस प्रस्ताव को संसद से मंजूरी मिल चुकी है और अब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और सुप्रीम लीडर के फैसले का इंतजार है।


वैश्विक प्रभाव: चीन, भारत और एशिया पर संकट

अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देता है, तो इसका असर सिर्फ अमेरिका या इजरायल तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसका सबसे बड़ा प्रभाव एशिया के देशों पर होगा, जिनकी ऊर्जा ज़रूरतें खाड़ी देशों से पूरी होती हैं।

  • सऊदी अरब, इराक, कतर, यूएई, कुवैत और खुद ईरान इस मार्ग से तेल निर्यात करते हैं।

  • भारत और चीन, दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देश, इस मार्ग पर निर्भर हैं।

  • इस रास्ते के बंद होने से तेल की वैश्विक कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं।


🇮🇳 भारत पर असर: विकल्प हैं, लेकिन कीमत चुकानी होगी

भारत की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 90% आयात से पूरा होता है।

  • भारत हर दिन करीब 55 लाख बैरल कच्चा तेल आयात करता है।

  • इसमें से 20 लाख बैरल होर्मुज के जरिए आता है।

हालांकि, भारत ने रूस, अमेरिका, ब्राजील और पश्चिम अफ्रीका जैसे देशों से तेल आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है। लेकिन इन विकल्पों का इस्तेमाल महंगा पड़ेगा — लॉजिस्टिक्स, डिलीवरी टाइम और एक्सचेंज दरों के कारण। इससे:

  • पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

  • महंगाई दर में इजाफा होगा।

  • ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्री सेक्टर प्रभावित होंगे

    मेरिका और इजरायल की रणनीति

ईरान के खिलाफ अमेरिकी हमले ने साफ संकेत दिया है कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इजरायल पहले ही कह चुका है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए हर हद तक जाएगा। अमेरिका का साथ मिलते ही ईरान पर दबाव और बढ़ गया है, लेकिन इस दबाव का जवाब होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करके दिया जा सकता है — जो एक तरह से तेल को हथियार बनाने जैसा होगा।


निष्कर्ष: एक टकराव, जो पूरी दुनिया को झुलसा सकता है

ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका के शामिल होने से यह संकट अब सिर्फ दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं रह गई है। अगर होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद किया जाता है, तो पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था हिल सकती है। भारत जैसे उभरते देश, जो आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा पर निर्भर हैं, को खासतौर पर भारी मूल्य चुकाना पड़ सकता है

अब सबकी नजरें ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई पर टिकी हैं — क्या वो इस ऐतिहासिक प्रस्ताव पर मुहर लगाएंगे? या दुनिया एक और बड़े तेल संकट से बच जाएगी?

यह सिर्फ युद्ध नहीं, कूटनीति की अग्निपरीक्षा भी है


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