पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में मराठा समाज के नेताओं और प्रमुख चेहरों की एक अहम बैठक हुई, जिसका मकसद था शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची पर लगाम लगाना। यह कदम एनसीपी नेता राजेंद्र हागवणे की बहू वैष्णवी की आत्महत्या के बाद उठाया गया, जिसमें दहेज उत्पीड़न की गंभीर बातें सामने आईं। वैष्णवी ने 16 मई को ससुराल में जान दे दी थी और परिवार ने 2 करोड़ की मांग और पहले से दिए गए सोने-चांदी व एसयूवी की बात उजागर की।
इस मामले ने समाज में खलबली मचा दी है। पुणे में हुई बैठक में कांग्रेस नेता अरविंद शिंदे, एनसीपी के अंकुश काकडे, विधायक चेतन टुपे, पूर्व मेयर राजलक्ष्मी भोसले और कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने विलासी शादी की परंपरा पर सवाल खड़े किए और कहा कि ऐसी शादियां मध्यम वर्ग के लिए बोझ बन जाती हैं। उन्होंने एक ऐसा मंच बनाने की बात कही जो समाज में सादगी से शादी को बढ़ावा दे।
अरविंद शिंदे ने घोषणा की कि जो परिवार बहू को प्रताड़ित करेंगे उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे आम परिवार अमीरों की नकल में कर्ज में डूब जाते हैं। राजलक्ष्मी भोसले ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया और कहा कि अगर बहू को ससुराल में उत्पीड़न हो रहा है तो उसे अपने मायके से भावनात्मक सहारा मिलना चाहिए।
इस बीच, मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े मनोज जारंग ने वैष्णवी के माता-पिता से मिलकर संवेदना जताई और कहा कि पुलिस की जांच इस बार गृह विभाग की परीक्षा है। उन्होंने चेताया कि अगर न्याय नहीं मिला तो पूरे महाराष्ट्र में असंतोष फैल सकता है। पुलिस ने राजेंद्र हागवणे सहित कई परिजनों को गिरफ्तार कर लिया है और पांच अन्य को भी हिरासत में लिया गया है, जो आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगे थे।