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विश्व गुरु बनने के लिए शिक्षा में संस्कृति-संस्कार जरूरी…एजुकेशन मॉडल पर BSB की अहम बैठक

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Posted On:Saturday, November 22, 2025

भारतीय शिक्षा बोर्ड (BSB) की मंडल स्तर की संगोष्ठी हाल ही में अलीगढ़ के कल्याण सिंह हैबिटेट सेंटर में संपन्न हुई। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति और संस्कारों के अभाव पर चिंतन करना और भारतीय शिक्षा बोर्ड की आवश्यकता को रेखांकित करना था।

संगोष्ठी का शुभारंभ सभी अतिथियों द्वारा वेद मंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के तौर पर डॉ. एन पी सिंह (पूर्व आईएएस और चेयरमैन, भारतीय शिक्षा बोर्ड), मुख्य अतिथि मंडलायुक्त संगीता सिंह, और विशिष्ट अतिथि मनोज गिरि (संयुक्त निदेशक) तथा राकेश कुमार (बेसिक शिक्षा) उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता का संबोधन: भारतीय शिक्षा बोर्ड क्यों जरूरी?

मुख्य वक्ता डॉ. एन पी सिंह ने मंडल से पधारे 300 से अधिक विद्यालयों के प्रबंधकों, प्राचार्यों और प्रतिनिधियों के सामने भारतीय शिक्षा बोर्ड की स्थापना के पीछे के मूल कारणों पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने छात्रों के नैतिक पतन पर गंभीर चिंता व्यक्त की। डॉ. सिंह ने कहा कि आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा के परिवेश में शिक्षा से भारतीय संस्कृति और संस्कारों का लोप हो रहा है, जिससे भारत में छात्र-छात्राओं का नैतिक पतन लगातार हो रहा है।

भारतीय शिक्षा बोर्ड की मूल भावना है:

  • बच्चों को भारतीय संस्कृति, वेद, शास्त्र, उपनिषद, गीता और आध्यात्मिक शिक्षाओं से जोड़ना।

  • इसके साथ ही उन्हें आधुनिक कंप्यूटर साइंस और प्रकृति के मूल से जोड़कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।

  • लक्ष्य है ऐसे संस्कारयुक्त, चरित्रवान नागरिक बनाना जो भारत को सशक्त बना सकें।

डॉ. सिंह ने सभी से निवेदन किया कि यदि भारत को सशक्त, संस्कारवान और विश्व गुरु बनाना है, तो अपने विद्यालयों को भौतिकतावादी चकाचौंध से दूर कर भारतीय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध करें।

मंडलायुक्त का संदेश: आदर्श शिक्षक और संस्कार

मुख्य अतिथि मंडलायुक्त संगीता सिंह ने अपने संबोधन में माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका को सर्वोपरि बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कार देने का काम सर्वाधिक माता-पिता और आदर्श शिक्षक का होता है, और उन्हें मिलने वाला माहौल भी बहुत प्रभावित करता है।

मंडलायुक्त ने भवन की चकाचौंध से दूर रहने की सलाह दी: "हमें बड़ी-बड़ी फैसिलिटी युक्त इमारतों के विद्यालय की ओर अधिक आकर्षित नहीं होना है और प्राचीन वैदिक संस्कृति की ओर लौटना है।" उन्होंने आह्वान किया कि अभिभावक भारतीय शिक्षा बोर्ड संस्थान से जुड़े विद्यालयों में बच्चों को प्रवेश दिलाएं।

गोष्ठी का सफल संचालन सुनील शास्त्री (राज्य प्रभारी, भारत स्वाभिमान) ने किया। इसमें पतंजलि परिवार से दयाशंकर आर्य, रविकर, जेसी चतुर्वेदी, यशोधन जी, शिवनन्दन समेत मंडल के 300 से अधिक विद्यालयों के प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।


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