ताजा खबर
इमरान खान को तगड़ा झटका, PTI शासित खैबर पख्तूनख्वा में राज्यपाल शासन लगाने की तैयारी में सरकार   ||    पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व को लेकर खड़ा हुआ संकट, आसिम मुनीर को CDF बनाने से पहले गायब हुए PM शहबाज   ||    ‘ड्रामा नहीं डिलीवरी, नारा नहीं नीति चलेगी…, संसद सत्र से पहले PM मोदी के विपक्ष को 5 बड़े संदेश   ||    संसद-राष्ट्रपति की मुहर…फिर आसिम मुनीर को क्यों नहीं मिल रहा पाकिस्तान का सबसे पावरफुल पद?   ||    दुनिया में बीजिंग के बड़े दावे हो गए फुस्स, मार्केट में नहीं बिक रहे चीन के हथियार   ||    बाड़मेर ने तय समय से पहले पूरा किया SIR का काम, टॉपर IAS टीना डाबी का जिला बना मिसाल   ||    Gita Mahotsav: हर स्कूल के बस्ते में हो गीता…CM मोहन यादव ने बताया लाइफ बैलेंस करना सिखाता है धर्मं ...   ||    अखिलेश का आरोप: UP हार के बाद बेचैन BJP, SIR के जरिए काटना चाह रही वोट   ||    Parliament Winter Session: ब्लास्ट में बचने से लेकर नॉनवेज छोड़ने तक… पीएम मोदी ने बताई उपराष्ट्रपति...   ||    खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट-बेकार पुलिस… बेंगलुरु में क्यों परेशान हो गए सपा सांसद राजीव राय, CM को क्या ...   ||   

जापानी संगठन निहोन हिदांक्यो को नोबेल पीस प्राइज, इसमें हिरोशिमा नागासाकी हमले के पीड़ित शामिल, जानिए पूरा मामला

Photo Source :

Posted On:Friday, October 11, 2024

मुंबई, 11 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को इस साल शांति के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए दिया गया है। इस संगठन में वे लोग शामिल हैं जो दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जीवित बचे थे। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है।ये हिबाकुशा दुनिया भर में अपनी पीड़ा और दर्दनाक यादों को निहोन हिदांक्यो संगठन के जरिए साझा करते हैं। नोबेल कमेटी ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले को झेलने वाले ये लोग हमारे पास नहीं रहेंगे, लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी और उन्हें याद दिलाती रहेगी कि परमाणु हथियार दुनिया के लिए कितने खतरनाक हैं।

निहोन हिदांक्यो संगठन की स्थापना 1956 में परमाणु और हाइड्रोजन बमों के खिलाफ हो रही दूसरी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई थी। अमेरिका ने 1954 में हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था इसके विरोध में 1955 में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी। 1945 में हुए परमाणु हमलों के लगभग 10 साल बाद भी पीड़ितों को अमेरिका की तरफ से कोई मदद नहीं मिली थी। अमेरिकी सेना ने पीड़ित लोगों पर परमाणु हमलों के बारे में कुछ भी बोलने और लिखने को लेकर रोक लगा रखी थी। संगठन ने अपनी स्थापना के बाद से हिबाकुशा (पीड़ित लोगों) के समूहों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा, जिससे दुनिया के लोगों को परमाणु हथियारों से होने वाले भयानक नुकसान और मानव पीड़ा के बारे में बताया जा सके। संगठन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि दुनिया में कहीं भी और हिबाकुशा न बनाए जाएं, और दुनिया 'परमाणु हथियार-मुक्त' बन सके।


पुणे और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. punevocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.