मुंबई, 08 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस योजना का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस को वापस लेने की बात कही थी। इस मुद्दे पर तालिबान, पाकिस्तान, चीन और रूस ने भी भारत का साथ दिया है। मंगलवार को मॉस्को में हुई 'मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशंस' की बैठक के बाद यह बयान सामने आया। इस बैठक में भारत, अफगानिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मॉस्को फॉर्मेट के साझा बयान में कहा गया कि किसी भी देश को अफगानिस्तान या उसके पड़ोसी देशों में सैन्य सुविधाएं स्थापित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता प्रभावित होगी। हालांकि बयान में बगराम का नाम नहीं लिया गया, लेकिन यह संदेश स्पष्ट रूप से ट्रम्प की योजना के खिलाफ था। भारत की ओर से इस बैठक में विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान और पाकिस्तान मामलों के डिप्टी सेक्रेटरी जेपी सिंह ने भाग लिया।
बैठक में सभी देशों ने एकजुट और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की जरूरत पर जोर दिया। प्रतिनिधियों ने कहा कि अफगानिस्तान को एक स्वतंत्र, स्थिर और आतंकवाद-मुक्त राष्ट्र बनाना जरूरी है। इस दौरान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने और अफगानिस्तान में व्यापार, निवेश, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन तथा आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात भी हुई। तालिबान की ओर से विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने पहली बार अफगान प्रतिनिधि के रूप में इस बैठक में हिस्सा लिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कुछ समय पहले कहा था कि वे अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा बनाया गया बगराम एयरबेस वापस चाहते हैं। 18 सितंबर को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि हमने इसे तालिबान को मुफ्त में दे दिया, अब हम इसे वापस लेंगे। ट्रम्प ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर भी लिखा था कि अगर अफगानिस्तान ने बगराम नहीं दिया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। हालांकि तालिबान ने साफ कहा कि वह अपनी जमीन किसी भी देश को नहीं देगा।
दरअसल, 2021 में अमेरिकी सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान ने बगराम एयरबेस और काबुल की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। ट्रम्प ने कई बार बाइडेन प्रशासन के इस फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि वह कभी बगराम नहीं छोड़ते क्योंकि यह चीन की गतिविधियों पर निगरानी रखने और अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों तक पहुंचने के लिहाज से रणनीतिक रूप से बेहद अहम था।
बगराम एयरबेस अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाना रहा है। यह देश के केंद्र में स्थित है, जहां से पूरे अफगानिस्तान में सैन्य अभियान आसानी से चलाए जा सकते हैं। 2001 में तालिबान शासन के पतन के बाद अमेरिका और नाटो सेनाओं ने इसे अपना प्रमुख बेस बनाया था। यहां से लड़ाकू विमान, ड्रोन और हेलिकॉप्टरों का संचालन होता था। बगराम में एक बड़ा जेल परिसर भी था, जिसे ‘बगराम जेल’ कहा जाता था, जहां आतंकवादियों और संदिग्धों को रखा जाता था। 2021 में जब अमेरिकी सेना ने इसे अचानक खाली किया, तो यह तालिबान की सबसे बड़ी जीतों में से एक मानी गई।