अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुर्खियों में हैं। इस बार चर्चा का केंद्र बना है उनका टैरिफ चार्ट, जिसने दुनिया की इकोनॉमी को हिला कर रख दिया है। ट्रंप के इस निर्णय ने भारत समेत 16 देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिए हैं, जिसका असर न सिर्फ इन देशों की व्यापारिक नीतियों पर पड़ा है, बल्कि इससे पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है।
दुनिया के शेयर बाजारों में गिरावट और अमेरिका का नुकसान
टैरिफ लागू करने के बाद अमेरिका की मंशा थी कि वह घरेलू उद्योग को बढ़ावा देगा और विदेशी वस्तुओं की निर्भरता को कम करेगा, लेकिन परिणाम इसके उलट देखने को मिल रहे हैं। अमेरिकी शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के बाद दुनियाभर के बाजारों में भी मंदी की लहर दौड़ गई है। भारत, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देशों के बाजार में निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि टैरिफ लगाने से विश्व व्यापार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जब दो या अधिक देश एक-दूसरे पर शुल्क लगाते हैं तो व्यापार धीमा पड़ता है, निवेश घटता है और महंगाई की समस्या पैदा होती है। यही कारण है कि आज कई देशों में पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर और रोजमर्रा की चीजों के दाम तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।
सोने की चमक फीकी होने वाली है?
गोल्ड मार्केट से जुड़ी एक बड़ी खबर यह है कि ट्रंप के टैरिफ के बाद अब सोने के दामों में ऐतिहासिक गिरावट आ सकती है। अमेरिका की जानी-मानी रिसर्च फर्म "मॉर्निंग स्टार" के एक्सपर्ट जॉन मिल्स का दावा है कि आने वाले महीने में सोने के दामों में 40 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा सकती है।
उनके अनुसार, फिलहाल जो सोना 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से बिक रहा है, वही सोना अगले महीने 50,000 से 55,000 रुपये तक पहुंच सकता है। डॉलर के मुकाबले रुपए की मजबूती, वैश्विक मंदी और टैरिफ की वजह से व्यापार में आई सुस्ती इसकी प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं।
आज कितना है सोने का रेट?
गुड रिटर्न्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 8 अप्रैल को सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। जहां कल तक 24 कैरेट सोना 90,380 रुपये प्रति 10 ग्राम था, वहीं आज इसका भाव घटकर 89,730 रुपये रह गया है। यानी 650 रुपये की गिरावट एक ही दिन में। वहीं, चांदी की कीमत फिलहाल 94,000 रुपये प्रति किलोग्राम बनी हुई है।
टैरिफ और सोने की कीमतों का आपसी संबंध
जॉन मिल्स का कहना है कि सोने की कीमतें वैश्विक परिस्थितियों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। जब डॉलर मजबूत होता है और केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बदलाव करते हैं, तब सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।
उन्होंने आगे बताया कि इस बार स्थिति कुछ अलग है क्योंकि एक साथ कई कारण एक ही समय पर सक्रिय हैं – अमेरिका का टैरिफ चार्ट, वैश्विक मंदी की आशंका, खपत में गिरावट और मांग में कमी। इसके अलावा सोने का स्टॉक काफी बढ़ गया है जिसे खत्म करने के लिए भी कंपनियों को मजबूरी में दाम गिराने पड़ सकते हैं।
महंगाई की लहर और आम आदमी की मुश्किलें
टैरिफ का सीधा असर अब आम आदमी की जेब पर भी दिख रहा है। भारत में एलपीजी सिलेंडर के दाम एक बार फिर बढ़ गए हैं। पेट्रोल-डीजल के रेट पहले ही ऊंचाई पर हैं। खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुओं के दामों में भी इजाफा हो रहा है। इस महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित वो तबका है जिसकी मासिक आमदनी सीमित है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका और अन्य देश टैरिफ नीति पर पुनर्विचार नहीं करते, तो वैश्विक मंदी की संभावना और भी बढ़ जाएगी। इससे न केवल व्यापार बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास की गति भी प्रभावित होगी।
क्या यह अमेरिका की रणनीतिक चाल है?
ट्रंप द्वारा टैरिफ चार्ट लागू करना सिर्फ व्यापारिक नीति नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति भी मानी जा रही है। आगामी चुनावों को देखते हुए ट्रंप अपने "America First" एजेंडे को फिर से जोर-शोर से प्रचारित कर रहे हैं। वे दिखाना चाहते हैं कि वे अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
हालांकि, इस नीति का दूसरा पहलू यह है कि इसके कारण अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदार देशों के संबंधों में खटास आ रही है। इससे विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी संस्थाएं भी चिंतित हैं।
क्या सस्ता होगा iPhone और अन्य आयातित सामान?
एक ओर जहां सोने की कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कई आयातित उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी की संभावना है। Apple जैसी कंपनियों के उत्पाद, जो भारत समेत अन्य देशों में आयात होते हैं, टैरिफ के चलते महंगे हो सकते हैं। इससे स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की कीमतों में इजाफा होना तय माना जा रहा है।
निष्कर्ष: आने वाले समय में क्या करें निवेशक और आम उपभोक्ता?
आर्थिक विशेषज्ञों की सलाह है कि फिलहाल बाजार में बहुत अधिक अस्थिरता है, इसलिए कोई भी बड़ा निवेश करने से पहले विशेषज्ञों की राय जरूर लें। सोने की कीमतें भले ही गिरने की भविष्यवाणी की जा रही हो, लेकिन इसमें भी जोखिम बना हुआ है।
ट्रंप की टैरिफ नीति के प्रभाव को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कब स्थिर होगी। लेकिन यदि टैरिफ वापस नहीं लिए जाते, तो यह तय है कि महंगाई और मंदी का दौर कुछ समय तक बना रहेगा।