भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत करने के लिए दोहरे मोर्चे पर सक्रिय हो गया है। हाल ही में, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस का दौरा किया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, जिसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक हथियार सौंपने की योजना बनाई है। पाकिस्तान पहले से ही चीन का घनिष्ठ सहयोगी है, जिससे अब बीजिंग के बाद वाशिंगटन से भी हथियार मिलने से भारत की सुरक्षा चुनौतियां बढ़ सकती हैं। दरअसल, अमेरिका पाकिस्तान को घातक AIM-120 AMRAAM मिसाइलें और उन्नत F-16 फाइटर जेट्स देने वाला है। इन F-16 में नए रडार और मिसाइल लॉन्चर लगाए गए हैं। अमेरिका ने 2025 के वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान के लिए $7.6 मिलियन की सैन्य फंडिंग की भी घोषणा की है।
चीन से हथियारों की लगातार सप्लाई
अमेरिका के साथ दोस्ती बढ़ने के बावजूद, चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बना हुआ है। 'SIPRI फैक्ट शीट' के मुताबिक, साल 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान को अपने कुल हथियारों का 81 प्रतिशत हिस्सा चीन से ही मिला है।
चीन ने पाकिस्तान को कई प्रमुख हथियार सौंपे हैं:
J-10C फाइटर जेट्स: यह लड़ाकू विमान चीन ने पाकिस्तान को पहले ही दे दिया था और दावा किया जाता है कि मई में भारत से टकराव के दौरान इसका इस्तेमाल भी किया गया था।
JF-17 थंडर जेट्स: यह चीन और पाकिस्तान का एक संयुक्त लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट है।
HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम: यह करीब 200 किलोमीटर की रेंज वाला सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस एक मजबूत रक्षा प्रणाली है।
इसके अलावा, पाकिस्तान को Z-10 अटैक हेलीकॉप्टर और VT-4 टैंक जैसे अन्य महत्वपूर्ण हथियार भी चीन से मिले हैं।
ऑपरेशन सिंदूर और पाक की सक्रियता
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान को बुरी तरह शिकस्त का सामना करना पड़ा और अंत में उसे सीजफायर के लिए सहमत होना पड़ा। यह दावा किया जाता है कि उस ऑपरेशन के दौरान भी चीन ने पाकिस्तान की काफी मदद की थी। इस सैन्य कार्रवाई के बाद से ही पाकिस्तान अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अधिक सक्रिय हो गया है। चीन और अमेरिका दोनों से उन्नत हथियार हासिल करना उसकी सेना को मज़बूत करने की रणनीति का हिस्सा है। AIM-120 AMRAAM मिसाइलों जैसे उच्च-तकनीकी हथियार मिलने से भारतीय वायुसेना के लिए चुनौती बढ़ सकती है, जिसे अपनी पश्चिमी सीमा पर लगातार सतर्क रहना होगा। पाकिस्तान का यह चीन-अमेरिका एक्सिस भारत के रक्षा योजनाकारों के लिए चिंता का विषय है।