पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान में आतंकवाद का खतरा फिर से बढ़ता दिख रहा है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की जमीन पर आतंकियों के नए ठिकाने बनना शुरू हो गए हैं। इन ठिकानों के लिए ऑनलाइन फंडिंग की भी पुष्टि हुई है, जिससे साफ संकेत मिलता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले गुट सक्रिय हैं और अपनी ताकत फिर से जमा रहे हैं।
लश्कर-ए-तैयबा का नवीनीकरण अभियान
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने मुरीदके के उम्म अल-कुरा आतंकी ठिकाने को पुनर्निर्माण के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है। इस नवीनीकरण के लिए फंडिंग का स्रोत पंजाब सरकार के साथ-साथ ऑनलाइन डोनेशन भी बताया जा रहा है। पाकिस्तान सरकार ने तबाह कैंप के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है, जिसे मुस्लिम लीग ने खुले तौर पर समर्थन भी किया है।
यह खुलासा पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन कितनी मजबूती से काम कर रहे हैं, इसका एक बड़ा सबूत है। सरकारी संरक्षण और वित्तीय मदद के कारण ये संगठन फिर से अपनी ताकत जमा रहे हैं।
जैश-ए-मोहम्मद की नई रणनीति
वहीं, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने भी 313 नए आतंकी ठिकाने स्थापित करने के लिए ऑनलाइन फंडिंग अभियान शुरू किया है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए ‘फैक्ट्री ऑफ टेरर’ का पुनर्निर्माण और विस्तार जारी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने भी आतंकियों की ऑनलाइन फंडिंग की पुष्टि की है और कहा कि देश में 15% डिजिटल ट्रांजेक्शन ऐसे हैं, जो खतरा पैदा कर रहे हैं।
मंत्री ने यह भी चेतावनी दी है कि इसी कारण पाकिस्तान को फिर से फाइनेंशियर एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाला जा सकता है। यह स्थिति पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए गंभीर चुनौती है।
आतंकवाद और पाकिस्तान का गहरा जुड़ाव
पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और आतंकियों का प्रमुख समर्थक माना जाता है। भारत सहित कई देशों ने पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को संरक्षण देने के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और ISIS-खोरासान (ISIS-K) जैसे आतंकी समूह भी पाकिस्तान में सक्रिय हैं।
1993 में अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद समर्थक देशों की सूची में डाला था। 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान को 2022 में बाहर निकाला गया, लेकिन अब फिर से उसमें शामिल होने का खतरा बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम न उठाना और आतंकवादियों को संरक्षण देना माना जा रहा है।
पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया। इस हमले में 5 आतंकवादियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी।
इस हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें 7 मई को भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। इस ऑपरेशन ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में आतंकवाद का इंफ्रास्ट्रक्चर फिर से मजबूत हो रहा है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। ऑनलाइन फंडिंग और सरकारी संरक्षण से आतंकवादी संगठनों को नई ऊर्जा मिल रही है। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ते जा रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर संकट मंडरा रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मसले पर गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आतंकवाद का सफाया किया जा सके और शांति स्थापित हो सके।