पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के पासाण निवासी पुष्कर कुलकर्णी आज भी पिछले गुरुवार की शाम को याद कर डर जाते हैं, जब वह अपनी स्कूटर पर जलमग्न सड़क पर फंसे हुए थे। उस दिन इलाके में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई थी, जिसमें 24 घंटों में 140.6 मिमी पानी गिरा। पुष्कर ने बताया, "बारिश बहुत तेज हो रही थी और पानी इतना बढ़ चुका था कि पहिए पूरी तरह से डूब गए थे। दोपहिया वाहन चालक घबराए हुए थे। कारें भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं, डर था कि कहीं इंजन खराब न हो जाए। कुछ समय के लिए ऐसा लगा जैसे सड़क एक नदीनुमा बहाव में बदल गई हो, और निकलने का कोई रास्ता नहीं था।"
इस भारी बारिश ने पुणे शहर में जलभराव की स्थिति पैदा कर दी। पासाण में 140.6 मिमी और लोहेगांव में 112.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि शिवाजीनगर में 97.4 मिमी बारिश हुई। यह बारिश 1983 के बाद से सितंबर महीने में शिवाजीनगर में दूसरी सबसे भारी बारिश मानी जा रही है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, यह 1896 से अब तक के 129 वर्षों में शिवाजीनगर में सितंबर में होने वाली पांच सबसे अधिक वर्षा वाली घटनाओं में शामिल है।
विशेषज्ञों ने बताया कि यह दूसरी बार था जब पिछले एक सप्ताह में लोहेगांव स्टेशन पर एक ही दिन में 100 मिमी से ज्यादा बारिश हुई। शिवाजीनगर का कुल मासिक वर्षा आंकड़ा अब 237.6 मिमी तक पहुंच चुका है, जो 2013 के बाद से दूसरा सबसे ज्यादा सितंबर वर्षा रिकॉर्ड है। यदि इसी तरह बारिश जारी रही, तो यह 2019 के रिकॉर्ड को पार कर सकता है, जब 287.7 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
मौसम विभाग के अनुसार, गुरुवार की बारिश पूरी तरह से स्थानीय थी, यानी पुणे शहर में भारी बारिश हुई जबकि महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में हल्की या कोई बारिश नहीं हुई। पुणे में एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार ऐसा हुआ, जब कमजोर वायुगतिकीय परिसंचरण (Cyclonic Circulation) ने भारी बारिश को बढ़ावा दिया। IMD वैज्ञानिक एसडी सनप ने बताया कि इस वर्षा का कारण स्थानीय गर्मी और मानसून से आ रही नमी थी, जिसने तेज बादलों का निर्माण किया। मौसम विभाग ने भी पुणे के लिए "मध्यम से भारी बारिश" का पूर्वानुमान 2 बजे के बाद जारी किया था।
पुष्कर कुलकर्णी ने इस बारिश के कारण सड़कों पर जलजमाव की समस्या का जिक्र किया और कहा कि पासाण, सुतारवाड़ी और सुस रोड जैसी जगहों पर खराब सड़क डिज़ाइन और कचरे से भरे नालों के कारण जलभराव की समस्या बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि सड़कों के बीच में गैप न होने के कारण पानी दोनों ओर से नहीं बह पाता, जिससे जलजमाव बढ़ जाता है और परेशानी होती है।