पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में आने वाले कुछ महीनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, जिससे पूरे राज्य में सियासी हलचल तेज़ हो गई है। खासकर पुणे में, जहां एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने मेगा प्लान तैयार किया है। बताया जा रहा है कि जल्द ही पुणे से बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता शिंदे गुट में शामिल होने वाले हैं, जिनमें महायुति और महाविकास अघाड़ी के पूर्व नगरसेवक, गणेश मंडल के कार्यकर्ता और पिछले चुनाव में हारे उम्मीदवार भी शामिल हैं।
हालांकि यह जंबो एंट्री इवेंट रविवार को होना था, लेकिन मावल तालुका में एक हादसा और केदारनाथ में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना के चलते इसे टाल दिया गया। गौरतलब है कि पुणे में शिवसेना की पकड़ पहले से ही कमज़ोर रही है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी ने यहां की आठ में से किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा था, और 2017 के मनपा चुनाव में भी पार्टी महज 10 नगरसेवकों तक सीमित रही थी।
शिवसेना के विभाजन के बाद पुणे में उसकी ताकत और भी घट गई। 10 नगरसेवकों में से सिर्फ एक ही शिंदे गुट के साथ गया, बाकी उद्धव ठाकरे के साथ ही रहे। बाद में ठाकरे गुट के भी पांच नगरसेवक बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे दोनों शिवसेनाओं की स्थिति पुणे में और भी कमजोर हो गई। ऐसे में अब शिंदे ने पुणे को लेकर रणनीति बदल दी है और फोकस इसी शहर पर कर रहे हैं।
इसी रणनीति के तहत शिंदे ने हाल ही में पूर्व कांग्रेस विधायक रविंद्र धांगेकर को पार्टी में शामिल किया और उन्हें पुणे महानगर प्रमुख की अहम ज़िम्मेदारी सौंपी। धांगेकर अब पूरी ताकत से मनपा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं और पार्टी में होने वाली यह बड़ी भर्ती उनके प्रयासों का नतीजा मानी जा रही है। हालांकि इस बात को लेकर शिवसेना पूरी तरह चुप है कि कौन-कौन से बड़े नेता पार्टी में शामिल होंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में साफ होगा कि इस भर्ती का असर किस पार्टी पर सबसे ज़्यादा पड़ता है।