पुणे न्यूज डेस्क: पुणे में 2024 में कुल 25,899 कुत्ते के काटने के मामले दर्ज हुए, जबकि इस साल जून तक नगरपालिका ने 14,147 मामलों को रजिस्टर किया है। हालांकि पशु जनसंख्या नियंत्रण और रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन पुणे नगर निगम के दायरे में शामिल हुए आस-पास के 32 गांवों के जुड़ने से आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है।
पुणे नगर निगम की मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सारिका फुंडे ने बताया कि वर्तमान में पुणे में लगभग 1.8 लाख आवारा कुत्ते हैं। हालांकि अभी तक पूरी जनगणना नहीं हुई है, लेकिन इन गांवों के शामिल होने के बाद कुत्तों की संख्या कम से कम 2.5 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। 2024-25 में 56,537 कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण किया गया, जबकि पिछले साल यह संख्या 57,444 थी। अप्रैल से जून तक इस साल 14,297 कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी की गई है।
पुणे में पांच पशु जनसंख्या नियंत्रण केंद्रों में लगभग 4,000 आवारा कुत्तों का मासिक टीकाकरण और नसबंदी की जाती है। इनमें होलकरवाड़ी और कत्रज के यूनिवर्सल एनिमल वेलफेयर सोसाइटी, केशव नगर और मुंढवा के ब्लू क्रॉस सोसाइटी, बानेर के कैनाइन कंट्रोल एंड केयर, और नायडू अस्पताल शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक, अतिरिक्त बड़े पैमाने पर टीकाकरण शिविर भी लगाए गए हैं और पिछले कुछ वर्षों में रेबीज से होने वाली किसी भी मौत की सूचना नहीं मिली है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पुणे प्लेटफॉर्म फॉर कोलैबोरेटिव रिस्पांस (PPCR) ने पुणे नगर निगम से आवारा कुत्तों के बेहतर प्रबंधन के लिए शहरव्यापी कार्यक्रम शुरू करने की मांग की है। PPCR के समन्वयक सुदीप मेहता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश सार्वजनिक सुरक्षा और दयालु पशु प्रबंधन के बीच संतुलन बनाने के लिए बनाए गए हैं। पुणे जैसे तेजी से बढ़ते शहर में आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए संगठित और निर्णायक कदम जरूरी हैं। PPCR ने आश्रय केंद्रों का विस्तार, सभी केंद्रों में CCTV कैमरे लगाने, शहरभर में कुत्तों को पकड़ने और पुनर्वास की मुहिम चलाने और ऐसे ऑपरेशन में बाधा डालने पर कानूनी कार्रवाई की सार्वजनिक जानकारी देने की भी मांग की है।