पुणे न्यूज डेस्क: मुंबई के पवई इलाके में 19 लोगों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की कहानी का अंत शनिवार तड़के पुणे में उसके अंतिम संस्कार के साथ हो गया। 50 वर्षीय रोहित ने गुरुवार को एक स्टूडियो में 17 बच्चों और दो बड़ों को कैद कर लिया था। करीब तीन घंटे चले इस तनावपूर्ण ऑपरेशन में पुलिस ने सभी बंधकों को सुरक्षित छुड़ा लिया, लेकिन मुठभेड़ के दौरान रोहित की गोली लगने से मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम के बाद रोहित का शव मुंबई के जेजे अस्पताल से पुणे भेजा गया, जहां परिवार ने गुपचुप तरीके से उसका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान सिर्फ उसकी पत्नी, बेटा और कुछ नज़दीकी रिश्तेदार ही मौजूद थे। पुलिस का कहना है कि रोहित पिछले कुछ समय से अपने परिवार से अलग रह रहा था और मानसिक रूप से परेशान लग रहा था।
जानकारी के मुताबिक, रोहित पेशे से ठेकेदार था और उसे एक सरकारी स्कूल से जुड़ा काम मिला था। उसका आरोप था कि उसे किए गए काम का करीब दो करोड़ रुपये भुगतान नहीं किया गया, जबकि उसने इसके लिए कई बार अधिकारियों से शिकायत की थी। बताया जा रहा है कि इसी आर्थिक तनाव ने उसे यह खतरनाक कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।
महाराष्ट्र सरकार ने अब पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मंत्री दादा भुसे ने कहा कि शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है ताकि यह साफ हो सके कि भुगतान में देरी क्यों हुई और क्या इसी वजह से रोहित इतना हताश हुआ कि उसने बच्चों को बंधक बना लिया।