पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के बीच मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर राजनीति को गर्मा दिया है। आंदोलनकारी मनोज जरांगे बुधवार को मुंबई रवाना हुए, लेकिन रास्ते में पुणे के पास सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मिलने पर भी सहमत हो गए। जरांगे ने घोषणा की है कि 29 अगस्त से वह मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे। हालांकि, पुलिस ने उन्हें वहां सिर्फ एक दिन की अनुमति दी है और प्रदर्शनकारियों की संख्या 5,000 तक सीमित कर दी गई है। जरांगे का कहना है कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और गणेशोत्सव में कोई बाधा नहीं आएगी।
जरांगे की मुख्य मांग है कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति के रूप में मान्यता दी जाए ताकि उन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल करके शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिल सके। उन्होंने खुलकर कहा कि इस बार वे किसी भी हाल में आरक्षण लेकर ही रहेंगे। कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि सोमवार को समिति की बैठक में जरांगे की मांगों पर चर्चा हुई और मराठा आरक्षण पर विचार करने के लिए शिंदे समिति को छह महीने का और समय दिया गया है।
राज्य सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा नेताओं ने जरांगे से अपील की थी कि गणेशोत्सव के दौरान आंदोलन को स्थगित करें। लेकिन जरांगे ने साफ कहा कि उकसावे के बावजूद आंदोलन शांतिपूर्ण होगा और अब फैसला सरकार के हाथ में है। उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए उन्हें मराठा विरोधी करार दिया और कहा कि पाबंदियों के बावजूद विरोध मुंबई में होगा।
गौरतलब है कि इसी साल राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को एक अलग वर्ग के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पास किया था। मगर जरांगे की मांग है कि उन्हें सीधे ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाए। सरकार का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए आंदोलन पर बातचीत का रास्ता खुला है, वहीं मंत्री दादा भुसे ने भी माना कि जरांगे की मांगें वाजिब हैं, लेकिन गणेशोत्सव के माहौल में आंदोलन से आम नागरिकों को परेशानी हो सकती है।।