पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र के पुणे जिले के भोर इलाके में भाटघर बांध के बैकवाटर क्षेत्र में पानी का रंग अचानक हरा हो जाने से ग्रामीणों और किसानों में दहशत का माहौल है। संगमनेर, मालवाड़ी और नन्हें गांवों के तालाबों में यह बदलाव साफ नजर आ रहा है। लोगों को चिंता सता रही है कि कहीं यह पानी पीने योग्य तो नहीं रहा या खेती के लिए खतरनाक तो नहीं हो गया। इसी तरह नंदुरबार जिले में गोमई नदी में भी हरे रंग का रासायनिक पानी बह रहा है, जिससे मछलियों की मौत हो रही है।
भाटघर बांध शाखा के इंजीनियर गणेश टेंगले के अनुसार, बांध में लगाए गए मत्स्य पालन पिंजरों में इस्तेमाल हो रहे खाद्य पदार्थों में नाइट्रोजन की अधिकता है, जिससे शैवाल तेजी से बढ़ते हैं और पानी का रंग हरा नजर आता है। हालांकि वे मानते हैं कि यह एक अस्थायी जैविक प्रक्रिया है और समय के साथ पानी फिर सामान्य हो जाएगा।
इस पूरे मामले पर उप-विभागीय अधिकारी डॉ. विकास खरात ने गंभीर रुख अपनाया है। उन्होंने तालाबों के पानी की जांच के आदेश दिए हैं और दूषित तत्वों को हटाने के लिए तत्काल उपाय करने की बात कही है। ग्रामीणों की आशंकाओं को देखते हुए पानी के नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए हैं, ताकि यह साफ हो सके कि पानी जैविक वजहों से बदला है या रासायनिक मिलावट से।
दूसरी तरफ, नंदुरबार के गोमई नदी क्षेत्र में रसायन मिले पानी को लेकर स्थिति अधिक चिंताजनक है। पिछले चार दिनों से नदी में केमिकल युक्त पानी बह रहा है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इसका स्रोत कहां है। इस वजह से न सिर्फ मछलियां मर रही हैं बल्कि ग्रामीण पीने और खेती दोनों के लिए इस पानी का उपयोग करने से कतरा रहे हैं। प्रशासन की निष्क्रियता से लोगों में नाराजगी भी है।