पुणे न्यूज डेस्क: पुणे जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के सामने बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि वह इस कब्र को जल्द से जल्द हटाने के लिए ठोस कदम उठाए। बजरंग दल के नेता नितिन महाजन ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो वे खुद इसे हटाने के लिए मजबूर होंगे।
इस विवाद को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। छत्रपति संभाजीनगर ग्रामीण पुलिस ने खुल्दाबाद तहसील में सीआरपीएफ, संभाजीनगर ग्रामीण पुलिस, होमगार्ड और पुरातत्व विभाग के गार्ड्स को तैनात किया है। इसके अलावा, क्षेत्र में स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स (SRPF) की टुकड़ियां भी तैनात की गई हैं ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे। पुरातत्व विभाग लंबे समय से इस कब्र की देखरेख कर रहा है, लेकिन हाल के घटनाक्रमों के चलते यह कब्र अचानक चर्चा का केंद्र बन गई है।
हिंदू संगठनों ने 17 मार्च को हर तहसील कार्यालय में जाकर कब्र हटाने की मांग के लिए ज्ञापन देने की घोषणा की है। उनका कहना है कि औरंगजेब का इतिहास हिंदुओं पर अत्याचारों से जुड़ा हुआ है और उसकी कब्र का अस्तित्व उनके घावों को फिर से कुरेदने जैसा है। संगठनों ने साफ कहा है कि अगर उनकी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो वे आगे और उग्र कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
वहीं, औरंगजेब की कब्र की देखभाल करने वाले केयरटेकर अफरोज अहमद ने इस विवाद पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि औरंगजेब को मरे हुए 350 साल से ज्यादा हो गए हैं और अब तक इस कब्र का विरोध कभी नहीं हुआ। अफरोज ने आरोप लगाया कि कुछ राजनेता और बाहरी तत्व जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खुल्दाबाद में सभी धर्मों के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं और एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। इस विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति को भी गरमा दिया है, जहां कुछ लोग इसे ऐतिहासिक धरोहर मानकर संरक्षित रखने की वकालत कर रहे हैं, जबकि हिंदू संगठन इसे हटाने पर अड़े हुए हैं।