पुणे न्यूज डेस्क: लोकसभा चुनाव में संविधान के संशोधन की आशंका से भाजपा महायुति से अलग हुई, और अब विधानसभा चुनाव में भी आंबेडकरी आंदोलन के समर्थक महायुति से दूर रहते हुए विरोध का संकेत दे रहे हैं। खासकर रिपब्लिकन पार्टी (आठवले गुट) के कुछ नेताओं ने महायुति के खिलाफ सामूहिक प्रतिज्ञा ली है, जिसमें उन्होंने महायुति को वोट न देने का संकल्प लिया। पुणे में आरपीआई के पदाधिकारियों ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के सामने महायुति के खिलाफ यह शपथ ली, क्योंकि महायुति ने विधानसभा चुनाव में आरपीआई को एक भी सीट नहीं दी।
इस शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पूर्व उपमहापौर डॉ. सिद्धार्थ धेंडे ने आंबेडकरी कार्यकर्ताओं को शपथ दिलाई, जिसमें प्रमुख रूप से एड. अयूब शेख, फरजाना शेख, मौलाना कारी मोबशीर अहमद समेत अन्य आरपीआई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे। डॉ. धेंडे ने कहा कि महायुति ने आरपीआई को उचित सम्मान नहीं दिया, जिसके कारण आंबेडकरी समुदाय में गहरी नाराजगी है। उन्होंने यह भी बताया कि आरपीआई पदाधिकारी और अन्य कार्यकर्ता अब महायुति को वोट न देने की शपथ ले चुके हैं।
इस बीच, एड. अयूब शेख ने भी आरोप लगाया कि चुनावों में दलित और मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन लिया जाता है, लेकिन चुनाव के बाद उनकी अनदेखी की जाती है। उन्होंने कहा कि इस कारण आंबेडकरी विचारधारा वाले सभी नागरिक महायुति के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और यह शपथ ली है कि वे जातिवादी ताकतों को सत्ता में नहीं आने देंगे।
प्रतिज्ञा के रूप में, सभी आंबेडकरी विचारधारा वाले मतदाताओं ने घोषणा की कि वे महायुति के उम्मीदवारों का समर्थन नहीं करेंगे और अपनी वोटिंग का समर्थन नील झंडा और आंबेडकरी विचारधारा की पार्टी को देंगे।