पुणे न्यूज डेस्क: पुणे के व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारदा की ओर से दायर एक आरटीआई से बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें सामने आया है कि औरंगजेब के मकबरे की सुरक्षा और रखरखाव पर 2014 से 2025 के बीच खर्च छह गुना तक बढ़ गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के रिकॉर्ड के अनुसार, खुल्दाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) स्थित इस मकबरे पर 12,24,104 रुपये खर्च किए गए, जबकि यूपीए शासनकाल (2004-2014) में यह खर्च केवल 2,54,128 रुपये था।
आरटीआई से मिले आंकड़े बताते हैं कि 2005-06 में इस मकबरे पर सिर्फ 1,395 रुपये खर्च हुए थे। लेकिन धीरे-धीरे यह राशि लगातार बढ़ती गई और 2024-25 में खर्च 5,35,988 रुपये तक पहुंच गया। यानी एनडीए शासनकाल में इस मकबरे के रखरखाव, सुरक्षा और नवीनीकरण पर काफी अधिक राशि खर्च की गई।
प्रफुल्ल सारदा का कहना है कि यह आंकड़े संसाधनों के बंटवारे और स्मारकों की प्राथमिकता पर सवाल खड़े करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक विवादित मुगल शासक की विरासत को संरक्षित करने में अधिक पैसा खर्च कर रही है, जबकि मराठा इतिहास और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे नायकों से जुड़ी धरोहर की उपेक्षा की जा रही है।
सारदा ने साफ कहा कि औरंगजेब का शासन धार्मिक असहिष्णुता और दमनकारी नीतियों के लिए कुख्यात रहा है। ऐसे में उनके मकबरे पर इतना बड़ा खर्च चौंकाने वाला है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि करदाताओं का पैसा विवादास्पद हस्तियों की विरासत पर नहीं, बल्कि मराठा किलों और शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रीय नायकों से जुड़े स्थलों के संरक्षण पर खर्च होना चाहिए, ताकि देश की सांस्कृतिक पहचान मजबूत हो सके।